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तीन बार सर्वे करने के बाद भी नहीं मिली एनओसी, अब देहरादून के इस इलाके में बाढ़ का खतरा

मानसून की दस्तक के साथ ही शनिवार व रविवार को जमकर वर्षा हुई। जिससे नदी नालों का जलस्तर बढ़ गया है। दूसरी तरफ सौंग नदी की बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले गौहरीमाफी व खदरी खड़गमाफ गांव की सुरक्षा के लिए सीसी तटबंध बनाने को वित्तीय स्वीकृति मिले छह माह बीत गए।
राजस्व, सिंचाई व राजाजी पार्क प्रशासन के अधिकारी तीन बार संयुक्त सर्वे भी कर गए, मगर पार्क प्रशासन की ओर से अब तक कार्य को अनुमति (एनओसी) नहीं मिली।
आलम यह है कि सिंचाई विभाग व ग्राम पंचायत बाढ़ सुरक्षा के फौरी उपाय करने के लिए भी पार्क प्रशासन की दया पर निर्भर है। जिसके चलते स्थायी कार्य तो दूर अस्थायी उपाय भी नहीं हो सके।
इतना ही नहीं गौहरीमाफी में सिंचाई के लिए प्रयुक्त होने वाला पानी भी सौंग नदी से नहर में लिफ्ट किया जाता है। इस कार्य के लिए भी पार्क प्रशासन अनुमति नहीं दे रहा। जिसके चलते काश्तकारों के सामने खेतों की सिंचाई की समस्या बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि पार्क अधिकारी वन कानून की आड़ में मनमानी कर रहे हैं।
हो चुका है संयुक्त सर्वे:
बीते माह 19 अप्रैल को बाढ़ सुरक्षा योजना के लिए पार्क, सिंचाई व राजस्व विभाग के संयुक्त सर्वे में भूमि की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। तटबंध का ज्यादातर हिस्सा राजस्व व उद्यान विभाग की भूमि पर बनना है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि तटबंध बनने से वन्यजीवों के प्रवास पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा, बल्कि इससे वन भूमि व वन संपदा भी सुरक्षित होगी।
बावजूद इसके प्रशासन ने अब तक एनओसी जारी नहीं की गई। इस बार बड़े खतरे की आशंका गौहरीमाफी, खदरी, ठाकुरपुर, चकजोगीवाला व साहबनगर का काफी बड़ा हिस्सा बाढ़ के खतरे की जद में है। बीते वर्षों में सौंग नदीं में बाढ़ से यहां कई बीघा खेत कट गए। घरों में पानी घुसने से अनाज और सामान खराब हुआ।
नदी गांव से सट कर बहने लगी है। खदरी की ग्राम प्रधान संगीता थपलियाल ने बताया कि पार्क प्रशासन विकास व सुरक्षा कार्यों में रोड़ा बन रहा है। योजना शुरू होना तो दूर वैकल्पिक व्यवस्था के लिए तार जाल तक नहीं भरे गए, यदि सौंग में उफान आया तो इस बार भारी नुकसान की आशंका है।

22 करोड़ की योजनाएं अटकी:
राजाजी पार्क प्रशासन से एनओसी न मिलने से करीब 22 करोड़ रुपये की बाढ़ सुरक्षा योजनाओं पर ग्रहण लगा हुआ है। दरअसल राज्य आपदा न्यूनीकरण मद के अंतर्गत गौहरीमाफी की तरफ सौंग नदी किनारे तटबंद के लिए 986.05 लाख, गंगा नदी किनारे तटबंध के लिए 812.45 लाख तथा सौंग नदी के दूसरी तरफ खदरी गांव की सुरक्षा के लिए 445.10 लाख लागत की योजना स्वीकृत है।
इससे नदी किनारे करीब 2100 मीटर तटबंध बनना है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीसी उनियाल का कहना है कि वन विभाग से एनओसी मिलने पर ही कार्य शुरू हो सकेगा।
संयुक्त सर्वे में स्थिति स्पष्ट होने के बाद भी पार्क अधिकारी एनओसी जारी करने में अनावश्यक विलंब किया। यहां तक कि नदी को चैनेलाइज व अस्थायी कार्य तक नहीं करने दिए। बाढ़ से नुकसान हुआ तो इसके लिए वन विभाग जिम्मेदार होगा।
– रोहित नौटियाल, ग्राम प्रधान, गौहरीमाफी

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पक्का निर्माण नहीं हो सकता है। सौंग नदी में जिस जगह दीवार बननी है, वह पार्क क्षेत्र है। इसलिए संबंधित फाइल शासन को भेजी गई है। जिस पर वहीं से निर्णय हो सकेगा। बिरला मंदिर क्षेत्र देहरादून डिवीजन के अंतर्गत है।
– कहकशा नसीम, उपनिदेशक, राजाजी टाइगर रिजर्व

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