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समुद्र में किस ‘भूत’ का पता लगा रहा चीन?

Which ‘ghost’ is China detecting in the sea?


चीन, पश्चिमी प्रशांत महासागर में एक विशाल दूरबीन का निर्माण कर रहा है. इसका काम ‘घोस्ट पार्टिकल्स’ (Ghost Particle) का पता लगाना है. इन्हें ‘भूत कण’ या ‘न्यूट्रिनो’ (Neutrinos) भी कहा जाता है. नैचर मैग्जीन में इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित एक लेख में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चीन (China) की यह दूरबीन अपनी तरह की दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन होगी. साल 2030 तक इस दूरबीन के तैयार होने की उम्मीद है.

कितनी ताकतवर है चीनी दूरबीन? (How powerful is the Chinese telescope)


चीन ने अपनी इस दूरबीन को ‘ट्राइडेंट’ (Tropical Deep-sea Neutrino Telescope) नाम दिया है. Space.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन पश्चिमी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह से 11,500 फीट (3,500 मीटर) नीचे इस दूरबीन को लगा रहा है. इस दूरबीन में 24,000 ऑप्टिकल सेंसर हैं, जिन्हें 1200 से ज्यादा स्ट्रिंग्स पर लगाया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक ट्राइडेंट का डिटेक्टर 2.5 मील (4 किलोमीटर) व्यास में फैला होगा. यह इतना ताकतवर होगा कि 1.7 घन मील (7.5 घन किलोमीटर) तक ‘घोस्ट पार्टिकल्स’ को स्कैन कर लेगा. चीनी मीडिया के मुताबिक साल 2026 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस डिटेक्टर की टेस्टिंग शुरू हो जाएगी. हालांकि फुल डिटेक्टर साल 2030 तक ही शुरू हो पाएंगे.

आखिर ये भूत कण हैं क्या? (What is Ghost Particle)


वैज्ञानिकों के मुताबिक भूत कण या Neutrons एक तरीके के इलेक्ट्रॉन हैं. लेकिन इनका भार न के बराबर होता है और कोई चार्ज भी नहीं होता. घोस्ट पार्टिकल्स यानी भूत कण को ब्रह्मांड का सबसे मायावी कण कहते हैं. यह इतने बारीक होते हैं कि इन्हें देखना बहुत मुश्किल है. इसको एक उदाहरण से समझ सकते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक हर सेकेंड हमारे शरीर से कम से कम 10 ट्रिलियन ‘भूत कण’ गुजरते हैं. इनकी गति प्रकाश की गति जितनी होती है.

क्या हासिल करना चाहते हैं वैज्ञानिक? (What do scientists want to achieve)


वैज्ञानिकों के मुताबिक ब्रह्मांड में जो घोस्ट पार्टिकल्स (Ghost Particle) हैं, उनमें से ज्यादातर का निर्माण बिग बैंक (Big Bang) के वक्त हुआ है. यानी तब जब हमारा ब्रह्मांड बना था. वैज्ञानिक कहते हैं कि घोस्ट पार्टिकल्स की स्टडी से ब्रह्मांड और पृथ्वी के निर्माण के रहस्य से पर्दा उठ सकता है. घोस्ट पार्टिकल्स ऐसे हैं, जो भौतिक विज्ञान के हर नियम को चुनौती देते हैं. आज तक वैज्ञानिक इस रहस्य को सुलझा नहीं पाए हैं कि आखिर ये पार्टिकल्स इस तरह का व्यवहार क्यों करते हैं?

समुद्र में ही क्यों लगाई दूरबीन? (Why did you put the telescope in the sea)


घोस्ट पार्टिकल्स अमूमन किसी दूसरे पार्टिकल्स से इंटरेक्ट नहीं करते, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा कभी नहीं होता. ये पार्टिकल्स कई बार पानी के अणु (Water Molicules) के संपर्क में आ जाते हैं. इसीलिए चीन समुद्र के अंदर घोस्ट मॉलिक्यूल टेलीस्कोप लगा रहा है. आपको बता दें कि अभी तक दुनिया का सबसे ताकतवर घोस्ट पार्टिकल डिटेक्टर अंटार्कटिका में था, जो करीब 0.25 क्यूबिक मील (करीब 1 क्यूबिक किलोमीटर) तक पार्टिकल्स का पता लगा सकता है.

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admin

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