आज अहोई अष्टमी है। महिलाएं अपने बच्चों के लंबे जीवन, सुख और समृद्धि के लिए उपवास करेंगी।
आज अहोई अष्टमी है। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखेंगी। आचार्य डॉ. सुशांत राज के अनुसार, महिलाओं के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ की तरह ही महत्व रखता है। करवा चौथ में महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं, जबकि अहोई अष्टमी में संतान की कुशलता के लिए प्रार्थना की जाती है।
यह भी कठोर उपवास होता है, जिसमें कई महिलाएं जल तक ग्रहण नहीं करतीं। यह व्रत तारों या चंद्रमा के दर्शन के बाद संपन्न किया जाता है। अहोई अष्टमी का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा करने से संतान का जीवन खुशियों से भर जाता है।
यह है मुहूर्त:
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त : शाम 5:30 से 6.50 तक
अष्टमी तिथि प्रारंभ : रविवार सुबह 7.29 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त : सोमवार सुबह 6.50 बजे
इस दिन माताएं स्वच्छ वस्त्र धारण कर मिट्टी के मटके में पानी भरें। पूरे दिन निर्जल रहकर अहोई माता का ध्यान करें। बालक की उम्र के अनुसार उतने ही चांदी के मोती धागे में डालें और पूजा में रखें।
शाम को अहोई माता की पूजा करें और उन्हें पूरी, हलवा, चना आदि का भोग लगाएं। शाम को तारे देखने के बाद प्रसाद खाकर व्रत खोलें। बायना निकालकर सास, ननद या जेठानी को दें। अहोई माता की माला को दीवाली तक बच्चे के गले में डालें।