उत्तराखंड में 1480 करोड़ की लागत से सुधरेगा आपदा प्रबंधन का ढांचा, CM धामी ने PM मोदी का जताया आभार
आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में अब विश्व बैंक सहायतित उत्तराखंड डिजास्टर प्रिपेयर्डनेस एंड रेजिलिएंट परियोजना (यू-प्रिपेयर) से आपदा प्रबंधन का ढांचा सुदृढ़ होगा। इसके लिए विश्व बैंक ने 1480 करोड़ की ऋण राशि स्वीकृत कर दी है। परियोजना लागत का 80 प्रतिशत अंश केंद्र और 20 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी। परियोजना के तहत राज्य में आपदा से संबंधित अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने के साथ ही आपदा आश्रय गृहों, सड़कों व पुलों का निर्माण, जंगल की आग पर नियंत्रण को प्रभावी कदम जैसे कार्य किए जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना की स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केंद्र सरकार के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा कि परियोजना के आकार लेने से राज्य में आपदा के समय राहत व बचाव कार्यों में तेजी के साथ ही आपदा के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी। आपदा प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण और आपदा के समय रिस्पांस टाइम कम करने के उद्देश्य से वर्ष 2023 में बाह्य सहायतित यू-प्रिपेयर का खाका खींचा गया। तब सितंबर में कैबिनेट से इसे हरी झंडी मिली थी। इसके पश्चात परियोजना का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया। परियोजना के लिए ऋण हस्ताक्षर पर सोमवार को केंद्रीय संयुक्त सचिव आलोक तिवारी, उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन और विश्व बैंक के भारत में निदेशक अगेस्ते तानो कोआमे ने हस्ताक्षर किए। अब यह ऋण राशि स्वीकृत कर दी गई है।
ये होंगे मुख्य काम
अर्ली वार्निंग सिस्टम :- आपदा से संबंधित पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित करने के लिए आपदा प्रबंधन का साफ्टवेयर अपडेट होगा। साथ ही विभिन्न स्थानों और नदियों पर सेंसर लगाए जाएंगे। जगह-जगह चेतावनी जारी करने को सायरन भी लगेंगे।
कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम :- परियोजना के तहत देहरादून में कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम बनेगा, जिससे सभी जिले संबद्ध होंगे। जिला स्तर पर भी आपदा कंट्रोल रूम की व्यवस्था सुदढ़़ होगी।
45 पुलों का निर्माण:- लोनिवि के ऐसे 45 पुलों का परियोजना में निर्माण होगा, जो कमजोर हैं या फिर इनमें खामियां हैं। आठ स्थानों पर सड़क सुरक्षा के कार्य होंगे।
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10 आपदा आश्रय गृह:- आपदाग्रस्त क्षेत्र में प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के दृष्टिगत संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा आश्रय गृह बनाए जाएंगे।
19 फायर स्टेशन होंगे सशक्त :- परियोजना में फायर स्टेशन भी लिए गए हैं। इसके तहत चयनित 19 फायर स्टेशन में उपकरणों की उपलब्धता समेत अन्य कदम उठाए जाएंगे।
जौलीग्रांट में बनेगा प्रशिक्षण केंद्र :- एसडीआरएफ के जौलीग्रांट में स्थापित परिसर में आपदा प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा।
जंगल की आग की रोकथाम :- जंगल की आग पर नियंत्रण व रिस्पांस टाइम कम करने को क्रू-स्टेशनों की स्थापना, उपकरणों की व्यवस्था, मोटर साइकिल अथवा अन्य वाहनों की खरीद इस परियोजना के तहत होगी।