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Moon Crater Water: क्या चांद पर पर्याप्त पानी है ?

             Moon Crater Water: Is there enough water on the Moon?

Moon Crater Water: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्रेटर को पानी से भरा हुआ माना जाता है। बर्फ के रूप में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य के मिशन में पीने और रॉकेट फ्यूल के लिए होगा। लेकिन अब एक नए शोध में बड़ा खुलासा हुआ है। इस शोध में कहा गया है कि अरबों साल पहले बर्फ नष्ट हुई। ऐसे में संभव है कि जितना पानी सोचते हैं उतना चांद पर न हो।

 

हाइलाइट्स ( highlights)


  • चांद पर एक बार फिर इंसान जाने की तैयारी में है
  • इस बार पानी के कारण वह ऐसा करना चाहता है
  • लेकिन एक नए शोध के मुताबिक हमारे अनुमान से पानी कम हो सकता है
  • क्या चांद पर पर्याप्त पानी है।
    वॉशिंगटन: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के कई क्रेटर में सूर्य की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। अभी तक के डेटा के मुताबिक इन गड्ढों में पानी हो सकता है, जो बर्फ के रूप में मौजूद है। लेकिन नए शोध के मुताबिक संभवतः पहले की तुलना में इनके अंदर कम पानी हो। ये स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्र (PSR) कहलाते हैं। चंद्रमा के इन क्रेटर्स के पास भविष्य में कई मिशन उतरेंगे। क्योंकि इन्हें बर्फ से भरा हुआ माना जाता है, जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्री भविष्य के मिशन के दौरान करेंगे।पीन के साथ-साथ इसे रॉकेट फ्यूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सबसे ज्यादा फोकस वैज्ञानिकों का रॉकेट फ्यूल बनाने पर है। वह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करना चाहते हैं। अगर इसमें कामयाबी मिल गई तो मंगल ग्रह के लिए जाने वाला मिशन यहां से होकर जाएगा। हालांकि नए अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि पीएसआर ज्यादा से ज्यादा 3.4 अरब साल पुराने हैं। जिन विशाल क्रेटर्स में यह हैं, वह 4 अरब साल पुराना है।

    मॉडल किया गया तैयार ( modeled ready)


    इस नए अध्ययन ने संकेत दिया है कि हम चांद पर जितना पानी मानते हैं, उसकी मात्रा के आंकड़े को कम करना चाहिए। एरिजोना में प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक और नए अध्ययन के प्रमुख लेखक, नौबेर  का कहना है, ‘इंपैक्ट और गैस का बाहर निकलना पानी का संभावित स्रोत हैं। ये चंद्रमा के इतिहास के शुरुआत यानी जब तक वर्तमान के पीएसआर नहीं बने थे तब तक चरम पर था।’ इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उनकी टीम ने चंद्रमा की शुरुआत से उसके विकास का मॉडल तैयार किया।

    कम हो सकता है पानी( water may be less)


    मंगल ग्रह के आकार का एक ग्रह तब पृथ्वी के साथ टकराया था। समय के साथ हमारा चांद बना। सिमुलेशन से पता चला कि लगभग 4.1 अरब साल पहले इसने अपनी धुरी पर झुकाव महसूस किया, जिसके कारण यह 77 डिग्री तक पहुंच गया था। शोधकर्ताओं ने लिखा कि हो सकता है कि उससे पहले चांद पर पानी रहा हो। लेकिन इतने बड़े झुकाव से सभी बर्फ नष्ट हो गई होगी। सिमुलेशन में पीएसआर चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के पास दिखे, जो कक्षा के फिर से अपनी जगह आने के बाद समय के साथ बढ़ते गए। लेकिन इनके पानी की मात्रा कम होने की संभावना है। भारत के चंद्रयान 1 ने सबसे पहले चांद पर पानी खोजा था। अब चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत बड़ी कामयाबी पा चुका है।

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admin

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