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कोरोना से उबर चुके मरीजों के लिए अब पटाखों का प्रदूषण और ठंड नई परेशानी पैदा कर सकती है।



बीपी, हार्ट और सांस के रोगियों की दिक्कत बढ़ सकती है। डॉक्टरों के अनुसार उन्हें अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा।

दून मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नारायण जीत सिंह के अनुसार जो लोग कोरोना से किसी भी तरह प्रभावित रहे हैं, उनके फेफड़ों पर प्रदूषण का असर निश्चित तौर पर पड़ेगा। ऐसे में सांस के रोगियों की दिक्कत बढ़ सकती है। जाड़ों में वायरल सामान्य है। बीपी और हार्ट के मरीजों पर भी इसका असर पड़ सकता है। पटाखों के धुएं में कई खतरनाक रासायनिक तत्व होते हैं, जिनकी मात्रा बढ़ने पर स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

पटाखों से होने वाले नुकसान:
-पटाखों के धुएं में कई खतरनाक रासायनिक तत्व होते हैं, जिनकी मात्रा बढ़ने पर स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।
-आंख-नाक, गले की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। इससे सांस लेने में परेशानी, जुकाम, एलर्जी और छाती व गले का इंफेक्शन हो सकता है।
-पटाखों से कार्बन डाईऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड समेत कई जहरीले गैस निकलती हैं।
-सांस के साथ के साथ शरीर में जाने वाले जहरीले धुएं से खून का प्रवाह रुक सकता है। इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
-पटाखों में लेड (सीसा) भी होता है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।
-पटाखों में मौजूद रसायन और विषाक्त कणों के फेफड़ों में पहुंचने से अस्थमा और दमा का खतरा बढ़ जाता है।
-पटाखों के धुएं से सांस के रोगियों के फेफड़ों में सूजन हो सकती है।

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