मौसम विभाग की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी के पुर्वानुवान सही साबित हुआ।
चकराता छावनी बाजार में सीजन का पहला हिमपात हुआ जबकि, ऊंची चोटियों पर सीजन की चौथी बर्फबारी हुई। ऊंची चोटियों पर हुई बर्फबारी को देख पर्यटकों के चेहरे खिल उठे हैं। नए साल के जश्न की तैयारियों को चार चांद लग गए हैं। बड़ी संख्या में पर्यटक सैर सपाटे के लिए चकराता और आसपास की ऊंची चोटियों का रुख करने लगे हैं।
सोमवार को दिनभर ऊंची चोटियों पर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहा। बर्फबारी के चलते पूरा इलाका शीतलहर की चपेट में है। चकराता में न्यूनतम पारा -03 डिग्री के आसपास है। इससे पहले मौसम विभाग के पुर्वानुवान के चलते बड़ी संख्या में पर्यटक नए साल का जश्न मनाने के लिए चकराता पहुंचने लगे थे। देर रात को मौसम की रंगत बदलने लगी। क्षेत्र में झमाझम बारिश शुरू हो गई, जिसके बाद रात दो बजे चकराता और आसपास के इलाकों में बर्फ गिरने लगी। सुबह होते-होते पूरे चकराता बाजार ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली। छावनी बाजार क्षेत्र में 2 इंच तक बर्फबारी हुई है।
वहीं देववन, लोखंडी, खडंबा, चुराणी, कथियान, ठाणा डांडा, शिलगुर चोटी, नगाया डांडा समेत कई ऊंची चोटियों पर आधा फीट से लेकर एक फिट तक बर्फबारी हुई है। लोगों ने बर्फबारी के नजारों को अपने कैमरों में कैद किया और बर्फबारी का आनंद लिया। विकासनगर में भी देर रात को झमाझम बारिश हुई, जिससे ठंड में इजाफा हो गया है। सोमवार की सुबह दिनभर आसमान में बादल छाए रहे हालांकि, दोपहर बाद हल्की धूप जरूर निकली लेकिन, सूरज के ढलते ही फिर से ठंड बढ़ने लगी।
कारोबारियों के चेहरे खिले:
नए साल के जश्न की तैयारियों के बीच चकराता छावनी बाजार और आसपास की ऊंची चोटियों में हुई बर्फबारी को देख दुकानदारों के चेहरे भी खिल उठे हैं। उन्हें उम्मीद है कि बर्फबारी के चलते बड़ी संख्या में पर्यटक सैर सपाटे के लिए चकराता पहुंचेंगे, जिससे उनके रोजगार में भी वृद्धि होगी। लॉकडाउन के बाद से लेकर अबतक क्षेत्रीय कारोबारियों का व्यापार बेहद मंदा चल रहा था।
फसलों के लिए सोना है बर्फबारी:
मैदानी इलाकों में हुई बारिश और पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी फसलों और बागवानी के लिए नेमत मानी जा रही है। पहाड़ों पर हुई बर्फबारी सेब, खुमानी, आड़ू, नाशपाति सलीखे फसलों के लिए खासा लाभदायक है। इससे जमीन में लंबे समय तक नमी बनी रहेगी। सेब को चिलिंग ऑवर पूरा करने में मदद मिलेगी। वहीं निचले इलाकों में हुई बारिश गेहूं के लिए लाभदायक मानी जा रही है।
अलाव जलाने को नहीं बजट, ठंड में रात काट रहे लोग:
साहिया। मौसम की बदली रंगत के साथ ही पहाड़ी इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ने लगी हैं। पारा शून्य से भी नीचे जाने लगा है बावजूद अबतक तहसील प्रशासन की ओर से साहिया और आसपास के इलाकों में अलाव की व्यवस्था नहीं हो सकी है। शाम ढलते ही ठंडी हवाएं शरीर में सिंहरन पैदा करने लगी है। ऐसे में बिना अलाव के बेसहारा लोगों के लिए रात काटना मुश्किल हो जाता है। उन्हें ठिठुरते हुए रात काटनी पड़ती है। तहसील प्रशासन का कहना है कि अबतक उन्हें अलाव जलाने के लिए बजट नहीं मिल सका है, जिसके चलते इस साल अबतक पहाड़ी इलाकों में अलाव जलाने का काम शुरू नहीं हो सका है।
स्थानीय निवासी वीरेंद्र सिंह पंवार, खजान सिंह का कहना है कि कई बार की मांग के बावजूद तहसील प्रशासन अबतक अलाव जलाने के लिए लकड़ियों की व्यवस्था नहीं कर सका है। साहिया बाजार जौनसार बावर का मुख्य बाजार है। ऐसे में तहसील प्रशासन को क्षेत्र में अलाव की व्यवस्था करनी चाहिए। हर साल नवंबर माह के अंत के साथ ही बाजार क्षेत्र में अलाव जलना शुरू हो जाते हैं लेकिन, इस साल अबतक अलाव की व्यवस्था नहीं हो सकी है। राजस्व उपनिरीक्षक जयलाल शर्मा ने बताया कि अलाव जलाने के लिए अबतक बजट नहीं मिल सका है। बजट मिलते ही अलाव की व्यवस्था की जाएगी। संवाद