कोरोना काल में होने वाले हरिद्वार कुंभ में पुलिस प्रशासन के लिए भीड़ नियंत्रण सबसे बड़ी चुनौती है।
हरिद्वार कुंभ में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने में आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक की ओर से तैयार मोबाइलन एप बेहद कारगर साबित हो सकता है। ट्रैकर नाम का यह एप रियल टाइम में भीड़ ही नहीं बल्कि हर एक व्यक्ति को ट्रैक कर सकता है। इसके जरिए यह भी पता लगाया जा सकता है कि हरकी पैड़ी की तरफ क्षमता से अधिक कितनी भीड़ पहुंच रही है। एप के फीचर्स में यह भी शामिल है कि कुंभ क्षेत्र में कितने लोग पहुंचे और कहां-कहां जमा हुए हैं। साथ ही स्नान करने के बाद कितने लोग कुंभ क्षेत्र से लौटे हैं।
कोरोना काल में होने वाले हरिद्वार कुंभ में पुलिस प्रशासन के लिए भीड़ नियंत्रण सबसे बड़ी चुनौती है। कुंभ बिना किसी विघ्न के सकुशल संपन्न हो, इसके लिए क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम तैयार करने पर जोर है। आईआईटी के सिविल विभाग के वैज्ञानिक प्रो. कमल जैन ने ट्रैकर नाम का एक मोबाइल एप बनाया है, जिसके जरिए कुंभ का क्राउड मैनेजमेंट बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
उन्होंने एप के फीचर्स के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह लोकल मैनेजमेंट में बेहतर कारगर होगा। इसमें जीपीएस, डाटा को एनालिसिस कर बताता है कि प्रत्येक व्यक्ति की उस समय की लोकेशन कहां है। मेन सर्वर में यह जानकारी मिलेगी कि किस प्वाइंट पर कितने लोग हैं।
एप डाउनलोड करने वाले व्यक्ति को भी उसके मोबाइल में जानकारी मिलेगी कि कहां ज्यादा भीड़ है। उन्होंने बताया कि ट्रायल के दौरान इस एप ने बेहतर परिणाम दिए हैं। इसके बाद इस एप का पेटेंट भी कराया गया है। ऐसे में यह कुंभ जैसे बड़े आयोजन में काफी कारगर साबित हो सकता है।
गूगल मैप से किस तरह अलग है एप:
गूगल मैप सड़क पर दौड़ रहे वाहनों की ट्रैकिंग करता है, लेकिन आईआईटी वैज्ञानिक की ओर से तैयार किया गया एप एक जगह पर खड़े व्यक्ति को भी ट्रैक करेगा। इसलिए यह एक जगह पर एकत्र भीड़ को भी दर्शाएगा जबकि गूगल मैप सड़क पर यात्रा करते समय ट्रैफिक को दर्शाता है। कई बार यह भी अनुभव में आता है कि जहां ज्यादा भीड़ और जाम के लिए रेड लाइन दिखाता है, वहां सड़क पर ज्यादा भीड़ नहीं होती, लेकिन ट्रैकर एप अलग-अलग प्वाइंट पर भी भीड़ की सटीक जानकारी देगा।
कोरोना पॉजिटिव और संपर्क में आने वालों की भी देगा जानकारी:
बॉर्डर या अन्य जगहों पर बाहर से आने वाले यात्रियों की कोरोना जांच रिपोर्ट में एक या दो दिन का समय लगता है। यदि किसी व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है तो उसे ट्रेस करने में परेशान होती है, लेकिन इस एप से उसकी वर्तमान लोकेशन भी पता चलेगी। साथ ही वह किस-किस के संपर्क में आ रहा है, इसकी जानकारी भी मिल जाएगी। अभी तक कोविड के लिए ट्रेसिंग के जो एप उपलब्ध हैं, उसमें संपर्क में आए लोगों की सही जानकारी नहीं मिल पाती है, लेकिन इस एप से यह संभव होगा।