उत्तराखंड में अधिकारियों व कार्मिकों को संपत्ति का विवरण देना होगा अनिवार्य, मुख्य सचिव ने जारी किए निर्देश
प्रदेश के प्रांतीय सिविल सेवा समेत सभी अधिकारियों व कार्मिकों को अब हर साल वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि (एसीआर) भरते समय अपनी संपत्ति का विवरण देना होगा। मुख्य सचिव आनंद बद्र्धन ने कार्मिक विभाग को इस व्यवस्था का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। व्यवस्था यह भी की जा रही है कि इसकी जानकारी दिए बिना कार्मिकों की पदोन्नति प्रभावित हो सकती है। प्रदेश में तैनात भारतीय प्रशासनिक सेवा, प्रांतीय सिविल सेवा समेत सभी अधिकारियों को हर वर्ष अपनी संपत्ति का विवरण देना आवश्यक है। यह विवरण तब दिया जाना है, जब वे अपनी एसीआर भरते हैं। आइएएस अधिकारी हर वर्ष 30 जनवरी तक इसका विवरण शासन को देते हैं, जो आनलाइन पोर्टल पर डाला जाता है।
पीसीएस व अन्य अधिकारियों को संपत्ति की जानकारी देना होता है अनिवार्य
पीसीएस व अन्य अधिकारियों के लिए एसीआर भरते समय संपत्ति की जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। राज्य सेवा के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा आइएफएमएस पोर्टल पर इसकी जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। नियमानुसार कार्मिकों को उन्हें हर वर्ष 30 जून तक अपनी एसीआर भरनी होती है। इसके लिए निर्धारित प्रारूप में उन्हें अपनी संपत्ति का भी विवरण देना होता है। इसमें यह बताना होता है कि उन्होंने यह संपत्ति कब क्रय की थी। राज्यधीन सेवाओं के अधिकारी इसे भरने में लापरवाही दिखा रहे हैं। मुख्य सचिव आनंद बद्र्धन ने जब इस संबंध में जानकारी ली तो यह बात सामने आई। इस पर उन्होंने कार्मिक विभाग को यह व्यवस्था देना सुनिश्चित करने को कहा है।
अपर सचिव कार्मिक रीना जोशी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि राज्यधीन सेवा के सभी अधिकारियों से इस व्यवस्था का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा।
एसीआर को लेकर पूर्व भी चेता चुका है शासन
ऐसा नहीं है कि मुख्य सचिव आनंद बद्र्धन ने पहली बार कार्मिकों को एसीआर भरने और इसमें अपनी संपत्ति का विवरण देने को कहा है। वर्ष 2022 में तत्कालीन मुख्य सचिव एसएस संधु ने कार्मिकों की एसीआर भरने में की जा रही लापरवाही पर नाराजगी जताई थी। उस समय उन्होंने एक शासनादेश जारी कर इस व्यवस्था को नियत तिथि के अनुसार पूरा करने के निर्देश दिए थे। यह व्यवस्था कुछ समय तक चली और फिर यह पटरी से उतर गई।