धामी सरकार के चार साल, आमजन और भाजपा की अपेक्षाओं में ढलकर जिताऊ व टिकाऊ बने CM Dhami

राजनीतिक अस्थिरता के भंवर में गोते खा रहा उत्तराखंड को ऐसे युवा चेहरे की दरकार रही, जो जिताऊ भी हो और स्थायित्व के भाव से एक-एक कदम सोच-विचार कर आगे बढ़ाए। साथ ही अवस्थापना विकास को गति भी दे तो भौगोलिक विषमताओं में पनपती सामाजिक-आर्थिक असमानता दूर कर जनाकांक्षाओं को उम्मीद का ठोस आधार दे। चार वर्ष का कार्यकाल पूरा कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आमजन और भाजपा की इन अपेक्षाओं में स्वयं को ढाला भी और चुनौतियों से निपटने का जज्बा भी दिखाया। पांचवें वर्ष में प्रवेश करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिथौरागढ़ और रुद्रपुर में निर्माणाधीन मेडिकल कालेज शीघ्र शुरू करने का संकल्प दोहराया। साथ ही राज्य की माली हालत सुधारने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सहायता से कर संग्रह का पुख्ता तंत्र बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी। पुष्कर सिंह धामी ने चार जुलाई, 2021 को जब मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल प्रारंभ किया था तो तत्कालीन भाजपा सरकार में दो मुख्यमंत्री बदले जा चुके थे। महज छह-सात महीने बाद विधानसभा चुनाव की चुनौती के बीच राजनीतक विश्लेषकों की नजरें स्वाभाविक रूप से इस पर टिकीं थीं कि युवा चेहरा वरिष्ठों एवं अनुभवी नेताओं के बीच अपनी जगह किस प्रकार स्थापित कर पाएगा। धामी ने पार्टी हाईकमान की उम्मीदों पर स्वयं को खरा साबित किया। वर्ष 2022 में भाजपा की प्रचंड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सरकार बनी तो पार्टी ने धामी को दोबारा मुख्यमंत्री पद पर आरूढ़ कर पार्टी ने भी युवा चेहरे पर विश्वास बरकरार रखने में हिचक नहीं दिखाई।
धामी ने चुनाव पूर्व की संक्षिप्त अवधि और फिर सवा तीन वर्ष के अपने नए कार्यकाल में स्वयं को पार्टी और जनता के विश्वसनीय चेहरे के तौर पर स्थापित करने में कसर नहीं छोड़ी। परिणाम ये रहा कि धामी के खाते में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के बाद सर्वाधिक चार वर्ष तक उत्तराखंड का मुख्यमंत्री रहने की उपलब्धि जुड़ गई। नये कार्यकाल में धामी ने चुनाव में किए गए वायदों को धरातल पर उतरने को अब तक प्राथमिकता दी। उत्तराखंड देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद ऐसा पहला राज्य बन गया, जिसने समान नागरिक संहिता लागू की। जनसांख्यिकीय में तेजी से बदलाव से निपटने के साथ ही भर्ती परीक्षाओं में भंग हो रही शुचिता की बहाली के लिए कड़ा नकलरोधी कानून, मतांतरण, दंगाइयों से निपटने को कड़े कानून बनाने में धामी सरकार ने तनिक भी हिचक नहीं दिखाई। धामी सरकार ने कमजोर व वंचितों को सहारा देने और निर्धनों के उत्थान के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए बजट में अधिक धनराशि जुटाई तो राज्य के कर संसाधनों को बढ़ाने के लिए कड़े उपाय करने का हौसला भी दिखाया। पांच वर्ष में अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना करने का संकल्प पूरा होने में अधिक समय शेष नहीं है।
अवस्थापना विकास पर डबल इंजन का लाभ लेने और केंद्र की मोदी सरकार का भरोसा बरकरार रखने में धामी सरकार के प्रयास सफल रहे तो जमरानी बांध, सौंग बांध, लखवाड़-व्यासी जलविद्युत परियोजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं का रास्ता साफ हो गया।