ज्यादा मटन खाते हैं तो हो जाएं सावधान,
Be careful if you eat too much mutton.
Mutton beef red meat and type 2 diabetes: क्या आप भी अक्सर मटन खाते हैं? मटन ही नहीं, यदि आप रेड मीट की कैटिगरी में आने वाले किसी भी प्रकार के मीट का सेवन तय बार से अधिक करते हैं, तो यह आपके लिए बेहद घातक सिद्द हो सकता है. आप एक ऐसे रोग की चपेट में आ सकते हैं जो जीवन भर आपको परेशान करता रहेगा. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) की स्टडी बताती है कि लाल मांस यानी रेड मीट (Red Meat) सप्ताह में दो बार खाने वाले लोगों को डायबिटीज का जोखिम बढ़ ,सकता है. बता दें कि रेड मीट में गाय का मांस (बीफ), सुअर का मांस (पोर्क), बछड़े का मांस, हिरन का मांस और बकरी का मांस (मटन) शामिल होते हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में पाया गया कि टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ऐसे लोगों को ज्यादा होता है.
दरअसल पिछले कई अध्ययनों में लाल मांस की खपत ( red meat consumption) और टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के बीच खतरनाक कनेक्शन देखा गया था. अब शुगर और खान पान के संबंध को लेकर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक्सपर्ट्स ने भी यह कनेक्शन पाया. नए अध्ययन में शामिल लोगों के बीच बड़ी संख्या में टाइप 2 मधुमेह के मामलों का विश्लेषण करने पर यह और भी ज्यादा साफगोई से दिखाई दिया. इसके बाद स्टडी के परिणामों में यह दावा किया जा रहा है कि जो लोग प्रति सप्ताह महज दो बार भी लाल मांस खाते हैं, उन्हें टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ सकता है. जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी में 2018 में एक अध्ययन छपा था जिसमें दावा किया गया था कि रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट ज्यादा खाने वालों में फैटी लीवर और इंसुलिन रेजिस्टेंस देखने को मिला.
हार्वर्ड ने लाखों लोगों पर की यह स्टडी, सालोंसाल चली(Harvard did this study on millions of people, it lasted for years)
द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित इस नए अध्ययन को हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के रिसर्चर्स ने किया. इसमें 2 लाख 16 हजार 695 लोगों ने भाग लिया. यानी यह रिपोर्ट करीब सवा दो लाख से अधिक लोगों के हेल्थ डाटा पर आधारित है. 36 वर्षों तक हर दो से चार साल में यह एनालिसस किया गया. इस दौरान 22,000 से अधिक लोगों को टाइप 2 मधुमेह हो गया. जिन लोगों ने सबसे अधिक रेड मीट खाया, उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम इस पैटर्न के साथ न खाने वाले लोगों की तुलना में 62% अधिक था.
लाल मांस न खाएं तो क्या खाएं लोग, बताया (What should people eat if they don’t eat red meat, told)
अच्छी बात यह रही कि शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि लाल मांस न खाकर आप इसकी जगह प्लांट बेस्ड प्रोटीन (यानी कि वेजेटेरियन) स्रोतों जैसे नट्स और फलियां या फिर मामूली मात्रा में डेयरी प्रॉडक्ट्स जैसे कि दूध-दही खाएं. इससे टाइप 2 मधुमेह का खतरा कम होगा. प्रतिदिन रेड मीट की एक खुराक लेने की बजाया प्रोटीन के शाकाहार विकल्प खाएं. नट्स और फलियां खाने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा 30% तक कम हो सकता है, जबकि इसकी जगह डेयरी प्रॉडक्ट खान पान में बढ़ाने से भी यह खतरा 22% तक कम होता देखा गया है
‘कैपिटल ऑफ डायबिटीज’ न बन जाए भारत! ( India should not become the ‘Capital of Diabetes’)
हाल ही में न्यूज एजेंजी आईएएनएस ने एक रिपोर्ट छापी थी जिसके मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ बताता है कि पूरी दुनिया में मधुमेह के शिकार लगभग हर दो में से एक व्यक्ति, यानी 240 मिलियन वयस्क लोगों को यह पता ही नहीं है कि उन्हें यह रोग है. वैसे मधुमेह के लगभग 90 प्रतिशत मामले टाइप 2 डायबिटीज के होते हैं. प्री-डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले टेस्ट में ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (ए1सी) के अलावा फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज (एफबीजी) टेस्ट और ओजीटीटी शामिल हैं. डब्ल्यूएचओ (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 30 फीसदी लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है और 8 करोड़ लोगों को डायबिटीज का रोग है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की मानें तो उसका डाटा कहता है कि अगर यही रफ्तार कायम रही तो भारत जल्द ही ‘कैपिटल ऑफ डायबिटीज’ (Capital of diabetes) बन जाएगा.