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आज ही के दिन भोले के धाम में मचा था तबाही का तांडव, 10 साल बाद नमो विजन से निखरी केदारपुरी

10 साल पहले आज ही के दिन, यानी 16 जून को केदारनाथ जल प्रलय में अपनों को खोने वालों के जख्म तो शायद ही कभी भर पाएं, लेकिन आपदा से सबक लेकर धाम को व्यवस्थित व सुरक्षित करने के प्रयास रंग लाए हैं।
इन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप हुए पुनर्निर्माण कार्यों की बदौलत केदारपुरी न केवल दिव्य और भव्य स्वरूप में निखरी है, बल्कि इसका आकर्षण और भी बढ़ा है। धाम में प्रतिवर्ष बढ़ती तीर्थयात्रियों की संख्या इसका उदाहरण है।
यही नहीं, केदारनाथ धाम के ठीक पीछे थ्री लेयर सुरक्षा दीवार और मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर हुए कार्यों के बूते केदारपुरी आपदा की दृष्टि से सुरक्षित भी हुई है। मास्टर प्लान के अनुरूप पुनर्निर्माण कार्यों का क्रम अभी जारी है, जिससे यह धाम और भी नए प्रतिमान स्थापित करेगा।

केदारनाथ में जलप्रलय ने मचाई थी तबाही:
पीछे मुड़कर देखें तो केदारनाथ में जलप्रलय ने जो तबाही मचाई थी, तब सबके मन में यही प्रश्न था कि केदारपुरी इससे उबर पाएगी अथवा नहीं। यद्यपि, आपदा के तुरंत बाद केदारनाथ के पुनर्निर्माण कसरत शुरू हो गई थी, लेकिन इनमें गति आई वर्ष 2014 से।
देवभूमि से विशेष अनुराग और बाबा केदारनाथ के प्रति अगाध आस्था रखने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण को अपनी स्वप्निल परियोजनाओं में शामिल किया। इसके बाद केदारनाथ को उसके दिव्य व भव्य स्वरूप के अनुरूप निखारने को मास्टर प्लान तैयार हुआ और इसी के अनुरूप काम शुरू हुए। प्रधानमंत्री मोदी के स्वयं इनका अनुश्रवण किए जाने से कार्यों में तेजी आई और आज परिणाम सबके सामने है।

सुरक्षित केदारपुरी:
केदारनाथ के मास्टर प्लान में सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए पुनर्निर्माण कार्यों पर जोर दिया गया। वर्ष 2013 में उफान पर आई मंदाकिनी व सरस्वती नदियों का रुख मंदिर की तरफ हो गया था, जो तबाही का कारण बना।
इसे देखते हुए पुनर्निर्माण कार्यों में सबसे पहले मंदिर के ठीक पीछे के इस हिस्से में थ्री-लेयर की 390 मीटर लंबी, 18 फीट ऊंची व दो फीट चौड़ी सुरक्षा दीवार बनाई गई। साथ ही मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर सुरक्षा कार्य कराए गए। इसके अलावा मंदिर के आंगन को खुला-खुला बनाया गया तो ठीक सामने दो सौ मीटर लंबे रास्ते का निर्माण हुआ।
शकराचार्य की समाधि स्थली:
आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थली भी आपदा में ध्वस्त हो गई थी। इसे भी इसी स्थान पर नए भव्य स्वरूप में बनाया गया है, जो धाम में आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। इसके साथ ही केदारनाथ में तीन ध्यान गुफाएं भी आकार ले चुकी हैं। यह गुफाएं तब चर्चा में आईं, जब वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने एक गुफा में साधना की थी।

पैदल मार्ग भी हुआ सुगम:
आपदा में केदारनाथ पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया था। यद्यपि, केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से लेकर धाम तक की पैदल दूरी अब 19 किलोमीटर हो गई है, लेकिन यह मार्ग तीन से चार मीटर चौड़ा किया गया है।
पूरे मार्ग पर रेलिंग लगाई गई है। लिनचोली, छोटी लिनचोली, रुद्रा प्वाइंट समेत कई पड़ाव विकसित किए गए हैं। मार्ग पर यात्रियों के लिए केंद्र के सहयोग से चार स्थलों का निर्माण भी प्रस्तावित है। इसके अलावा धाम में यात्री सुविधाओं के विकास समेत अन्य कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

ये हो चुके हैं कार्य:
मंदिर परिसर का खुला-खुला आंगन।
शंकराचार्य की समाधि स्थली।
आस्था पथ और घाट।
सेंट्रल स्ट्रीट।
यात्री आवासीय ब्लाक।
तीन ध्यान गुफाएं।
मंदिर के पीछे थ्री-लेयर सुरक्षा दीवार।
मंदाकिनी व सरस्वती पर सुरक्षा कार्य।
मार्गीय व अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास व सुधारीकरण।
तीर्थ पुरोहितों के 210 आवास।
गरुड़चट्टी-केदारनाथ मार्ग।
आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्वास्थ्य सुविधा।
वीआइपी व मुख्य हेलीपैड।
ईशानेश्वर मंदिर।
हाट बाजार।

निर्माणाधीन व शेष कार्य:
बीकेटीसी का भवन निर्माणाधीन।
पुलिस चौकी का भवन निर्माणाधीन।
शेष तीर्थ पुरोहितों के लिए आवास।
गरुड़चट्टी से भीमबली तक पैदल मार्ग।
मंदिर के ठीक पीछे ब्रह्मवाटिका।
सरस्वती नदी पर पुल।
चिकित्सालय भवन।
अतिथि गृह का निर्माण।

एक नजर इन पर भी:
225 करोड़ की लागत से प्रथम चरण के काम पूर्ण।
197.87 करोड़ की 21 योजनाओं पर चल रहा काम।
148 करोड़ की लागत से आवासीय सुविधा समेत अन्य कार्य प्रस्तावित।

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