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तराई केंद्रीय वन प्रभाग की हल्द्वानी रेंज के तहत आने वाले गांवों में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ रहा है।



अगस्त से गजराज आबादी में दस्तक दे रहे हैं। ग्रामीणों के साथ वन विभाग हाथियों से परेशान है। लालकुआं लकड़ी डिपो से लेकर हल्दूचौड़ स्थित आकृति स्टोन क्रशर तक वन विभाग करीब एक किमी खाई भी खुदवा रहा है। ताकि आबादी से इन्हें दूर रखा जाए। हालांकि, वन विभाग भी यह मानता है कि रेंज के जंगल में हाथी के मूल भोजन में कमी होने से उसे खेतों में लगा धान और अब गन्ना पसंद आ रहा।

हल्द्वानी रेंज के तहत आने वाले जयपुर बीसा, पदमपुर देवलिया, हल्दूचौड़ में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ रहा है। इससे स्थानीय काश्तकारों का आक्रोश बढ़ना भी लाजिमी है। जंगल में गजराज पौड़ी, रोहिणी, अमलतास, कंजू आदि प्रजाति को भोजन के तौर पर लेता है। जबकि इस रेंज में यूकेलिप्टस, पापुलर व सागौन की मात्रा ज्यादा है। यह प्रजातियां कामर्शियल इस्तेमाल के लिए बेहतर साबित होती है। मगर जैव विविधता व वन्यजीवों के लिहाज से इनकी उपयोगिता नहीं है। यही वजह है कि वासस्थल पर भोजन की कमी हाथियों को आबादी में आने के लिए मजबूर कर रही है।

अब मिश्रित प्रजाति को बढ़ावा :
रेंजर हल्द्वानी उमेश आर्य के मुताबिक इस साल हुए सरकारी प्लांटटेशन में मिश्रित प्रजातियों को बढ़ावा दिया गया है। ताकि वन्यजीवों को भोजन उपलब्ध हो सके। एक मजबूरी यह भी है कि यूकेलिप्टस, पापुलर व सागौन को तुरंत नहीं हटाया जा सकता। वर्किंग प्लान की समय अवधि के हिसाब से ही इनका कटान होगा।

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