टाइगर रिजर्व: चारागाह और जलस्रोत होंगे नए सिरे से विकसित …
जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व, राजाजी टाइगर रिजर्व समेत देश के सभी टाइगर रिजर्व और वन्यजीव अभ्यारण्यों में बाघ, भालू, हाथी, तेंदुआ समेत सभी वन्यजीवों को सुरक्षित प्राकृतिक आशियाना मुहैया कराए जाने के साथ ही उन्हें खाने पीने की माकूल व्यवस्था हो इसके लिए सभी टाइगर रिजर्व में लैंडस्केप का नए सिरे से अध्ययन शुरू किया गया है।
केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से तैयार किए गए नेशनल वाइल्डलाइफ एक्शन प्लान के तहत देश के सभी टाइगर रिजर्व में लैंडस्केप को और अधिक विकसित करने के साथ ही वन्यजीवों के लिए चारागाहों और जलस्रोतों पर और अधिक फोकस करने की बात कही गई है।
बता दें, राजाजी टाइगर रिजर्व और जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व समय देश के सभी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों हाथी, बाघ, भालू, तेंदुआ समेत तमाम प्रजातियों के वन्यजीवों की संख्या में साल दर साल इजाफा हो रहा है। ऐसे में वन्यजीवों के रहने और खाने पीने की समस्या हो रही है।
वन्यजीवों के बीच खासकर बाघों के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर आए दिन देश के तमाम टाइगर रिजर्व में जानलेवा झड़प की घटनाएं सामने आती हैं। इसके लिए केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने टाइगर रिजर्व के भीतर लैंडस्केप और अधिक विकसित करने पर जोर दिया है। ताकि वन्यजीवों के लिए खाने पीने की समस्या ना हो।
केंद्रीय वन, पर्यावरण जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से तैयार किए गए नेशनल वाइल्डलाइफ एक्शन प्लान के तहत भारतीय वन्यजीव संस्थान को जो जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं उसका निर्वहन पूरी जिम्मेदारी से किया जा रहा है। वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर जहां भी वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों की जरूरत पड़ती है उसमें हर संभव मदद की जा रही है। वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक सभी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों और राज्यों के वन विभाग के साथ मिलकर तमाम योजनाओं को धरातल पर उतारने में अपना पूरा सहयोग दे दे रहे दे रहे हैं।
-डॉ. धनंजय मोहन निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान
राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ, भालू, हाथी समेत सभी वन्यजीवों को सुरक्षित प्राकृतिक आवास मुहैया हो इसके लिए लैंडस्केप को विकसित किया जा रहा है। वन्यजीवों के लिए चारागाह की कमी ना हो उसके लिए चिल्लावाली रेंज में घास की नर्सरी तैयार की गई है। जिसे बाद में टाइगर रिजर्व के तमाम क्षेत्रों में लगाया जाएगा। ताकि वन्यजीवों के लिए घास की कमी ना हो। नेशनल वाइल्डलाइफ एक्शन प्लान के तहत जो भी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
– डीके सिंह, निदेशक, राजाजी टाइगर रिजर्व