महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के डॉक्टर परेशान , सरकारी अस्पतालों में मौत का तांडव जारी, नागपुर मे २४ मरीजो की मौत
Maharashtra: Doctors of Maharashtra are worried, orgy of deaths continues in government hospitals, 24 patients died in Nagpur.
नागपुर. महाराष्ट्र के नांदेड़ और औरंगाबाद के बाद अब नागपुर के सरकारी अस्पताल में 24 घंटे के अंदर 25 मरीजों की मौत हो गई है. ये मौतें यहां के 2 अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में रिपोर्ट की गई हैं.
इससे पहले महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में मंगलवार सुबह आठ बजे तक 24 घंटे के भीतर कम से कम 18 मौत दर्ज की गईं. वहीं इससे पहले मराठवाड़ा के ही नांदेड़ स्थित डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 30 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच 24 घंटे में 24 मौत दर्ज की गई थीं. इसके बाद 1 से 2 अक्टूबर के बीच सात अन्य मौत दर्ज की गईं जिससे 48 घंटे में कुल मृतकों की संख्या बढ़कर 31 हो गई थी.
संभाजीनगर के अस्पताल में 18 मरीजों की मौत (18 patients died in Sambhajinagar hospital)
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया, ‘छत्रपति संभाजीनगर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दो अक्टूबर को सुबह आठ बजे से तीन अक्टूबर सुबह आठ बजे के बीच 18 मौत दर्ज की गईं.’ उन्होंने कहा कि जीएमसीएच में दर्ज 18 लोगों की मौतों में से चार लोगों को अस्पताल में मृत लाया गया था.
चिकित्सा अधीक्षक ने कहा, ‘जान गंवाने वाले 18 लोगों में से दो मरीजों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, जबकि दो अन्य निमोनिया से पीड़ित थे. जान गंवाने वाले अन्य तीन मरीज गुर्दे के निष्क्रिय होने और एक अन्य मरीज यकृत निष्क्रिय होने की समस्या से पीड़ित था. यकृत और गुर्दा निष्क्रिय होने से एक अन्य मरीज की मौत हो गई. सड़क दुर्घटना, जहरीले पदार्थ और अपेंडिक्स फटने के कारण एक-एक व्यक्ति की मौत की खबर है.’
नांदेड़ के अस्पताल में 31 मरीजों की गई जान (31 patients lost their lives in Nanded hospital)
उधर राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 30 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच 24 घंटे में 12 शिशुओं सहित 24 लोगों की मौत हो गई. अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि सरकारी अस्पताल में जब 30 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच 11 शिशुओं की मौत हुई, उस समय नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में 24 बिस्तर की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले कुल 65 मरीजों का इलाज किया जा रहा था.