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दून के उत्पाद और सेवाओं को देश-दुनिया में पहचान दिलाने को जिला प्रशासन नई कवायद शुरू कर रहा है।



स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग कर उनका निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इस बाबत जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने विभिन्न विभागों को निर्देश दिए हैं।

गुरुवार को कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में जिलाधिकारी ने कृषि, उद्यान, मत्स्य, डेयरी, पशुपालन के साथ ही पर्यटन, उद्योग, शिक्षा विभाग, संस्कृति विभाग आदि को अपने उत्पाद व सेवाओं का निर्यात बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि व्यापक पैमाने पर निर्यात प्रोत्साहन के लिए क्षेत्रवार विभिन्न उत्पाद और सेवाओं को चिह्नित किया जाएगा। उन्होंने प्रत्येक विभाग को एक सप्ताह के भीतर ऐसे 10 उत्पाद या सेवाओं की सूची तैयार कर उन्हें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि निर्यात प्रोत्साहन सूची में ऐसे उत्पादों और सेवाओं को रखा जाएगा, जो व्यावहारिक रूप से निर्यात करने योग्य हों। जिसकी अन्य राज्यों में अधिक मांग हो और देहरादून इसे उपलब्ध करा सके।

देहरादून शहर की बासमती, लीची, बेकरी व डेकोरेटेड लाइट का सामान आदि को फिर से बेहतर तरीके से प्रोजेक्ट किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त एजुकेशन, टूरिज्म, आइटी क्षेत्र में भी व्यापक संभावनाएं हैं। कालसी-चकराता क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की दालें (राजमा, गहथ, सोयाबीन, उड़द,) अखरोट, शहद, पहाड़ी मुर्गे, अंडे, सेब, एयरोमैटिक, फॉर्मा, जूट से निॢमत उत्पाद, हथकरघा उत्पाद, हर्बल उत्पाद, ऑर्गेनिक उत्पाद को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नितिका खंडेलवाल, उद्योग के महाप्रबंधक शिखर सक्सेना, मुख्य कृषि अधिकारी विजय देवराड़ी, उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता आदि उपस्थित थे।

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