विधानसभा चुनाव- 2022 के बाद कांग्रेस के पास दूसरा मौका, माहरा और यशपाल के लिए कठिन परीक्षा
बागेश्वर उपचुनाव कांग्रेस के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित होने जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के साथ ही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के लिए यह परीक्षा की घड़ी से कम नहीं है। सुरक्षित विधानसभा सीट के लिए होने जा रहे इस उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहता है, तो इससे प्रमुख प्रतिपक्षी दल दोहरे लाभ की स्थिति में रह सकता है। इससे अल्मोड़ा संसदीय सीट (सुरक्षित) समेत कुमाऊं मंडल की दोनों लोकसभा सीट पर पार्टी का मनोबल भी बढ़ सकेगा।
कांग्रेस बागेश्वर उपचुनाव को लेकर बेहद गंभीर है। उपचुनाव में अपने प्रदर्शन के माध्यम से पार्टी अल्मोड़ा संसदीय सीट के समीकरणों को भी साध रही है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट होने के कारण अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर पकड़ का अंदाजा पार्टी को लग सकेगा।
विस चुनाव के बाद दूसरा उपचुनाव
2022 में विधानसभा चुनाव के बाद यह दूसरा उपचुनाव है, जिसमें पार्टी के साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा एवं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की भी परीक्षा तय है। इससे पहले चंपावत उपचुनाव बीते वर्ष हो चुका है। इस उपचुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं उम्मीदवार थे।
बागेश्वर में ही डटे माहरा और यशपाल
बागेश्वर सीट कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से रिक्त हुई है। प्रदेश में प्रचंड बहुमत की सरकार होने के बावजूद भाजपा इस चुनाव को हल्के में नहीं ले रही है तो इसका प्रमुख कारण कांग्रेस से मिलने वाली चुनौती भी है। भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में ही डटे हैं।
चुनाव में कांटे की टक्कर देना चाह रही कांग्रेस
हालांकि, चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी रंजीत दास के भाजपा में जाने से प्रमुख प्रतिपक्षी दल को झटका लगा है, इसका जवाब पार्टी चुनाव में कांटे की टक्कर के रूप में देना चाह रही है। इसलिए पार्टी ने बसपा और आप प्रत्याशी के रूप में पिछले विधानसभा चुनाव में अपने बूते बेहतर प्रदर्शन करने वाले बसंत कुमार पर दांव खेला है।
भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर बनाने का प्रयास
कांग्रेस इस उपचुनाव को पुष्कर सिंह धामी सरकार और भाजपा के विरुद्ध एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के रूप में उभारने का पूरा प्रयास कर रही है। इस फैक्टर को उपचुनाव के साथ ही आगे चलकर नगर निकाय और फिर लोकसभा चुनाव में भी प्रमुख मुद्दे के रूप में आगे करने की तैयारी है।