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बाबा नागार्जुन को सुनने के लिए कई साल पहले डीएवी कॉलेज में सैकड़ों की भीड़ पहुंची थी।



देश के प्रमुख कवियों में शामिल रहे बाबा नागार्जुन को सुनने के लिए कई साल पहले डीएवी कॉलेज में सैकड़ों की भीड़ पहुंची थी। उन्होंने एमकेपी कॉलेज की काव्य गोष्ठी में भी अपनी रचनाएं सुनाईं। बाबा नागार्जुन की पुण्यतिथि के मौके पर जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने उनसे जुड़ी यादें साझा कीं।

डॉ. अतुल शर्मा ने बताया कि बाबा नागार्जुन से उनकी पहली मुलाकात जयहरिखाल में हुई। तब क्षेत्र में उनके जन्मदिन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें शेखर पाठक, राजीव लोचन शाह, गिरीश तिवारी गिर्दा, बल्ली सिंह चीमा, योगेश पांथरी, जगत राम मिश्र, दिल्ली वाणी प्रकाशन के अरुण माहेश्वरी समेत कई साहित्य से जुड़े लोग मौजूद रहे। वाणी प्रकाशन ने वहां बाबा नागार्जुन की पुस्तक ‘ऐसा क्या कह दिया मैंने’ का विमोचन किया। इसके बाद कवि गोष्ठी भी आयोजित की गई।
डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र संघ सप्ताह के दौरान आयोजित काव्य गोष्ठी में भी बाबा नागार्जुन शामिल हुए। लाइब्रेरी के बड़े हॉल में उनको सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ी थी। उन्होंने कविताएं सुनाने के साथ ही श्रोताओं से संवाद भी किया। डॉ. शर्मा ने बताया कि इसके बाद बाबा मेरे घर पहुंचे और वहां भी काव्य पाठ और साहित्य चर्चा हुई।
एमकेपी पीजी कॉलेज में आयोजित गोष्ठी में भी बाबा ने अपनी कविताएं सुनाईं। आज भी देहरादून में उनको चाहने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है। बाबा ने ड्राइंग रूम में बैठकर आखिरी आदमी की बात नहीं की। वो संघर्षों में रहकर लिखते रहे, इसीलिए आज उनकी रचनाएं कालजयी हैं।

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