केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग टिंगरी बुग्याल व आसपास के प्राकृतिक स्थलों को ईको फ्रैंडली टूरिज्म का हब बनाने में जुट गया है।
ग्रामीणों के सहयोग से यहा प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के साथ पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे स्थानीय को रोजगार भी मिलेगा। बुग्याल के संरक्षण के लिए ईको डेवलपमेंट कमेटी गठित की जाएगी।
मद्महेश्वर घाटी के ग्राम पंचायत बुरूवा से लगभग दस किमी ऊपर मध्य हिमालय की तलहटी पर मीलों क्षेत्रफल में फैला है टिंगरी बुग्याल। यहां से पर्वतराज हिमालय की चौखंभा पर्वत श्रृंखला के साक्षात दर्शन होते हैं। साथ ही घाटी क्षेत्र में फैले गांवों का भव्य नजारा दिखाई देता है।
प्रकृति की गोद में फैला यह क्षेत्र दुर्लभ जड़ी-बूटी के साथ ही कई प्रकार की पुष्प प्रजातियां भी पाई जाती है, जो यहां की सूबसूरती को बढ़ाती हैं। टिंगरी बुग्याल से ही बिसुडी ताल व सोन बुग्याल भी पहुंचा जाता है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। अब, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग टिंगरी बुग्याल व आसपास के क्षेत्र को ईको फ्रैंडली टूरिज्म का हब बनाने की कार्ययोजना तैयार कर रहा है।
यहां, जो पर्यटक पहुंचेंगे, उन्हें ट्रेक से लेकर बुग्याल तक अपने साथ लाए बोतल बंद व रैपर पैकिंग वाले खाद्य पदार्थों का कचरा अपने साथ वापस लाना होगा। मद्महेश्वर घाटी विकास मंच के अध्यक्ष मदन भट्ट और बुरूवा की ग्राम प्रधान सरोज देवी का कहना है कि वन विभाग द्वारा टिंगरी बुग्याल को ईको फ्रैंडली टूरिज्म हब बनाने की योजना सराहनीय है।
यहां क्षेत्र में मीलों में प्रकृति ने अनुपम सौंदर्य बिखेरा है। विभाग की पर्यावरण संरक्षण के सा पर्यटन की मुहिम से रोजगार के अवसर भी मुहैया होंगे। ग्राम स्तर पर भी विभाग को हरसंभव सहयोग किया जाएगा।
नया वर्ष मनाने कई पर्यटक पहुंचे टिंगरी बुग्याल
इस बार नववर्ष मनाने के लिए बंगलूरू, पुणे, भीमताल, देहरादून, श्रीनगर समेत अन्य स्थानों से सैकड़ों पर्यटक टिंगरी बुग्याल पहुंचे थे। बंगलूरू से आए विवेक उनियाल व उदित पांडे ने बताया टिंगरी बुग्याल अपने में प्रकृति का अपार सौंदर्य समेटे हुए है।
वहीं श्रीनगर के ललित मोहन, वीएस नेगी का कहना है कि टिंगरी गढ़वाल के सबसे बेहतर बुग्यालों में से एक है। इन युवाओं ने बुरूवा से टिंगरी के बीच कई जगहों पर मिले कूड़ा-कचरा की सफाई कर उसका उचित निस्तारण भी किया।
टीम में शामिल ऑटोमेशन इंजीनियर नेहा पॉल का कहना है कि बुग्यालों व सघन वनों में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए आमजन व विभाग को मिलकर कार्य करना होगा।
टिंगरी बुग्याल, बिसुडी ताल व आसपास के क्षेत्र को ईको फ्रैंडली टूरिज्म का हब बनाया जाएगा। इसके लिए नजदीकी गांवों का भी सहयोग लिया जाएगा, जिससे बुग्यालों का संरक्षण भी हो और स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिल सके। पर्यटकों के लिए भी विभागीय स्तर पर गाइडलाइन तैयार की जाएगी, जिसका पालन अनिवार्य होगा।
– अमित कंवर, डीएफओ केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग, गोपेश्वर/चमोली