महानायक अमिताभ बच्चन के कॉलेज की कहानी एक रहस्यमय फिल्म की तरह है ।
बॉलीवुड को महानायक अमिताभ बच्चन सहित कबीर बेदी, विवेक मुशरान, दिलीप ताहिल जैसे कलाकार देने वाले नैनीताल के प्रतिष्ठित शेरवुड कॉलेज के कब्जे की लड़ाई आज खुद बॉलीवुड किसी रहस्यमय फिल्म की तर्ज पर दिलचस्प मोड़ ले चुकी है। इस मामले में तीसरे पक्ष ने अब विद्यालय पर अपना दावा जताया है।
अभी हफ्ते भर पहले तक अमनदीप संधू निर्विवाद रूप से शेरवुड के प्रधानाचार्य बने हुए थे। आगरा डायसिस ने सप्ताह भर पूर्व विद्यालय पर अपना हक बताते हुए घोषणा की कि संधू को तो दो महीने पहले हटा दिया गया था अब पीटर इमेन्युअल प्रधानाचार्य हैं। दो बार पुलिस बल के साथ विद्यालय में जाने के बावजूद पीटर को पद का कार्यभार तो दूर विद्यालय में प्रवेश तक नहीं मिल सका।
अब गुरुवार को लखनऊ डायसिस ने आगरा डायसिस के दावे को फर्जी बताते हुए घोषणा कर दी कि न तो संधू और न ही पीटर प्रधानाचार्य हैं। प्रधानाचार्य हटाने और नियुक्त करने वाली संस्था की तो ये प्रॉपर्टी है ही नहीं।
लखनऊ डायसिस के पदाधिकारियों ने नैनीताल पहुंच कर बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये दावा किया। इस रोचक मोड़ के बाद से विद्यालय से जुड़े विद्यार्थी और हितधारक ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लोग हतप्रभ हैं कि 151 वर्ष पुरानी, इतनी बड़ी और नामी संस्था के स्वामित्व और नियामक संस्था का ही आज तक ठीक पता नहीं है कि वह है कौन?
विद्यालय की अनुमानित कीमत अरबों रुपये:
नैनीताल जैसे महंगे शहर में 45 एकड़ भूमि पर लाखों वर्गफीट में निर्मित भवनों वाले इस विद्यालय की अनुमानित कीमत अरबों रुपये होगी। इससे भी ज्यादा इस विद्यालय की साख रही है, जहां एडमिशन के लिए देश भर के नामी गिरामी खानदानों सहित धनकुबेर लाइन लगाए रहते हैं।
सिर्फ चुनिंदा बॉलीवुड कलाकार ही नहीं, बल्कि उनसे कहीं बढ़कर देश के रियल लाइफ हीरो फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशॉ, देश के प्रथम परमवीर चक्र विजेता शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा, पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वीएन शर्मा, एनके किदवई पूर्व राज्यपाल बिहार, न्यायमूर्ति रवि धवन पूर्व मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट पटना, पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर, इंद्रजीत खन्ना मुख्य सचिव सहित सैकड़ों नामीगिरामी हस्तियां इसी की देन रहे हैं।
वर्तमान में संपत्ति और प्रधानाचार्य पद को लेकर अनायास शुरू हुई इस लड़ाई ने इसकी साख को भारी क्षति पहुंचाई है जिसे संभाल पाना अब किसी भी प्रधानाचार्य के लिए कठिन होगा।
..और पीटर इमेन्युअल बन गए शेरवुड के प्रधानाचार्य:
शेरवुड के प्रधानाचार्य के पद को लेकर अमनदीप संधू और पीटर इमेन्युअल दोनों का दावा है कि वे ही असली प्रधानाचार्य हैं। उधर लखनऊ डायसिस के पदाधिकारियों का दावा है कि इनमें से कोई भी प्रधानाचार्य नहीं है।
हालांकि वे यह स्पष्ट नहीं करते कि यदि संस्था पहले से ही उनकी थी तो उन्होंने किसे प्रधानाचार्य बना रखा था। बहरहाल गूगल पर यदि इस सवाल का जवाब तलाशें तो विकीपेडिया ने पीटर इमेन्युअल को शेरवुड का प्रधानाचार्य घोषित कर दिया है।
शेरवुड कॉलेज नाम की साइट में विकीपीडिया ने शुरू से अब तक विद्यालय के प्रधानाचार्यों की सूची जारी की है, जिसमें 2004 से 2020 तक संधू को प्रधानाचार्य दर्शाने के साथ 2020 में अब पीटर इमेन्युअल को प्रधानाचार्य दर्शाया है।
…यहां हर किसी को है कब्जे का अधिकार:
151 वर्ष पूर्व जब इस प्रतिष्ठित विद्यालय की स्थापना की गई थी तो संस्थापकों ने इसका मोटो तय किया था ‘मेरियट क्विस्क पालमन’ अर्थात ‘लेट ईच वन मेरिट हिज प्राइज’।
हिंदी में इसका तात्पर्य है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यता दिखाने का अवसर। डिक्शनरी में प्राइज के बहुत से अर्थ दिए हैं जिनमें एक लूट यानी कब्जा और शिकार (अधिकार) भी शामिल है।
कौन सोच सकता था कि एक दिन यह आदर्श वाक्य, किसी अन्य अर्थ में भी प्रयोग किया जा सकेगा और अपनी योग्यता इस परिप्रेक्ष्य में दिखाई जाएगी।