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कैबिनेट की बैठक आज।



मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को राज्य सचिवालय में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक होगी। बैठक में पहली से पांचवी कक्षा तक स्कूल खोले जाने को लेकर प्रस्ताव आ सकता है। इसके अलावा महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की महालक्ष्मी योजना के प्रस्ताव पर भी कैबिनेट की मुहर लग सकती है। इसके अलावा प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों पर भी कैबिनेट मंथन करेगी और कुछ निर्णय ले सकती है। बैठक शाम पांच बजे होगी।

पिछली कैबिनेट में लिया था ये अहम फैसला:
12 मार्च को हुई तीरथ सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेकर सरकार ने लोगों को बड़ी राहत दी थी। सरकार ने फैसला लिया था कि लॉकडाउन के दौरान कोविड महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन करने पर दर्ज मुकदमों को सरकार वापस लेगी।

भराड़ीसैंण में हुआ बजट सत्र समाप्त, अधिसूचना जारी: 
प्रदेश में मार्च में शुरू हुए बजट सत्र को समाप्त करने की राज्यपाल ने अनुमति दे दी है। राजभवन से अनुमति मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय ने भी बजट सत्र समाप्त करने की अधिसूचना जारी कर दी है।

प्रदेश सरकार ने इस बार बजट सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण-भराड़ीसैंण में मार्च माह में आयोजित किया था। माना जा रहा था कि सत्र दस मार्च तक चलेगा लेकिन अचानक ही छह मार्च को सत्र बेमियादी समय तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

इसे प्रदेश में सत्ता पक्ष में हुए नेतृत्व परिवर्तन से भी जोड़कर देखा गया। अब विधानसभा सचिवालय की ओर से बजट को समाप्त करने की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। प्रदेश सरकार की ओर से गैरसैंण में पारित वित्त विनियोग विधेयक को हाल ही में राजभवन से मंजूरी मिली है।

छोटे बच्चों को स्कूल भेजने के आदेश से अभिभावक नाखुश:
राज्य सरकार ने 5वीं तक के प्राइमरी तक के बच्चों के लिए भी 15 अप्रैल से कक्षाएं संचालित करने का निर्णय लिया है। बढ़ते कोरोना मामलों के बीच सरकार का यह फैसला अभिभावकों के गले नहीं उतर रहा है। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना किसी खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि, स्कूल भी अभिभावकों को खुद के रिस्क पर स्कूल भेजने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि फिलहाल छोटे बच्चों के लिए स्कूल खोलने के निर्णय पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए और स्कूलों को पहले की तरह ऑनलाइन क्लास से बच्चों को पढ़ाने के निर्देश दे।

कोरोना के मामले में तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना किसी खतरे से कम नहीं है। सरकार को चाहिए कि स्थिति सामान्य होने तक बच्चों को स्कूल भेजने के निर्णय पर पुनर्विचार करे। पहले की तरह ऑनलाइन क्लास के माध्यम से पढ़ाई शुरू करवाई जाए।
– बीना देवी, बनियावाला, प्रेमनगर, अभिभावक

एक ओर सरकार कोरोना से बचाव के लिए तरह-तरह के नियम-कानून बना रही है। दूसरी ओर बच्चों को स्कूल भेजने की बात कर रही है। बच्चों को स्कूल भेजना किसी खतरे से कम नहीं है। सरकार स्कूलों को पहले की भांति ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था के निर्देश दे।
– बबीता रावत, एमडीडीए कॉलोनी, केदारपुरम 

कोरोना का खतरा देश के साथ ही उत्तराखंड में भी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में पांचवीं तक के बच्चों को स्कूल भेजना ठीक नहीं हैं। स्कूल भी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में खतरा और बढ़ जाएगा। बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए सरकार फैसले को वापस ले।
-रामप्रसाद सेमवाल, बंजारावाला

कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बड़े तो खुद की सुरक्षा कर सकते हैं, लेकिन बच्चे नहीं। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजने में डर लग रहा है। या तो स्कूल बच्चों की सुरक्षा की गारंटी लें या सरकार। नहीं तो जब तक कोरोना का खतरा कम नहीं होता, पहले की ही व्यवस्था लागू किया जाए।
-प्रिया बड़ोनी, बंजारावाला

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