पहाड़ की शरीर को गर्म रखने वाली लजीज रेसिपी
कुमाऊं और गढ़वाल के लोग अपनी परंपराओं को लेकर अलग पहचान रखते हैं। यहां का पहनावा, त्योहार मनाने का तरीका, जिंदगी जीने का ढंग सब में कुछ न कुछ विशेषता जरूर रहती है। यही नहीं यहां के लोग तरह-तरह के व्यंजन खाने के शौकीन तो होते ही हैं, आवभगत में भी कोई कसर नहीं छोड़ते। यदि कभी आप कुमाऊं-गढ़वाल की तरफ जाएं तो यहां के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें। भांग, टमाटर या पुदीने की चटनी के साथ आलू के गुटके की रेसिपी सबसे प्रसिद्ध है। ठंड के दिनों में शरीर को गर्म रखने के लिए भट के डुबके, चुड़कानी, थेचुआ तो हर दिन बनती है। तो आइए जानें ये रेसिपी कैसे और कब बनती है।
आलू के गुटके – आलू के गुटके बनाने को कोई समय नहीं है। इसे सुबह नाश्ते के दौरान, दिन में खाना खाते समय, शाम को कभी भी बनाया जा सकता है। यह सबसे कम मेहनत में जल्दी तैयार होने वाली रेसिपी है। सामूहिक आयोजन में भी इसे परोसा जाता है। इसे बनाने के लिए आलू को उबाल ले। इसके बाद जीरे, प्याज, हींग व हरी मिर्च का छौंक लगाएं। फिर इसमें गरम मसाले डालकर पकाएं। अंत में आलू छोटे-छोटे टुकड़ों को मसाले के साथ पकाएं। उसके बाद हरी धनिया डालकर गर्मागर्म परोसे।
डुबके – पहाड़ में ठंड के दिनों में चावल के साथ डुबके खाए जाते हैं। काले भट की इस रेसिपी में मेहनत थोड़ी सी अधिक लगती है। एक रात पहले भट की दाल को पानी में भीगने के लिए रख दिया जाता है। दूसरे दिन इसे मिक्सर या सिलबट्टे में बारीक पीस लिया जाता है। इसके बाद इसमें हींग या धनिए का छौंका लगाकर अन्य मसालों के साथ खूब उबालना पड़ता है।
थेचुआ – इस रेसिपी को कई क्षेत्रों में थिचवानी भी कहते हैं। यह आलू और मूली दोनों का बनता है। इस रेसिपी को बनाने के लिए सबसे पहले आलू और मूली को सिलबट्टे या अन्य किसी बर्तन में कूटा जाता है। फिर कढ़ाई में टमाटर के साथ मसाला पका कर उसमें आलू या मूली को मिक्स कर पानी मिला दिया जाता है। इसे रोटी या चावल दोनों के साथ खाया जा सकता है।
भट की चुड़कानी – यह रेसिपी पहाड़ी काले भट से बनती है। इसे चावल के साथ खाया जाता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले घी या तेल में भट के दानों को भूना जाता है फिर भुने दानों को अलग निकालकर कढ़ाई में थोड़ा आटा भूना जाता है। इसके बाद कढ़ाई में प्याज को तेल में अच्छे से पकाया जाता है। प्याज का रंग हल्का भूरा होने पर उसे भुना भट और आटा मिलाकर थोड़ा गर्म पानी और मसाले डालकर करीब 15 से 20 मिनट तक पकाना पड़ता है।
भांग की चटनी – कुमाऊं में चटनी बनाने के लिए एक भांग की खेती करने की परंपरा पहले से ही रही है। पौधा बड़ा होने पर उसके बीज निकालकर सुखा लिए जाते हैं। चटनी बनाने के लिए सूखे भांग के बीजों को हल्की आंच में हल्का भूरा होने तक गर्म किया जाता है। इससे उसका कच्चापन दूर हो जाता है। इसके बाद मिक्सी या सिलबट्टे में भांग के बीज, हरी मिर्च, हरा धनिया, पुदीना, नींबू और नमक को एक साथ बारीक पीस लिया जाता है। यह पहाड़ की हर तरह की रेसिपी का स्वाद दोगुना कर देता है।
बड़ी की सब्जी – पहाड़ों में ककड़ी, लौकी, मूंग की बड़ी बनाने की परंपरा है। इन बड़ी की सब्जी को चावल के साथ दाल के तौर पर परोसा जाता है। ठंड के दिनों में सेहत के लिए यह पौष्टिक आहार माना जाता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक कटोरी में आटा या मैदा पानी में घोल लिया जाता है। इसके बाद एक कढ़ाई में तेल डालकर बड़ी को भूरा होने तक हल्की आंच में फ्राई करना होता है। फ्राई होने के बाद बड़ी को अलग निकालकर कढ़ाही में तेल डालकर प्याज, लहसुन, टमाटर नमक और अन्य मसाले फ्राई करने के बाद उसमें आटे या मैदे का घोल डाला जाता है। इसमें थोड़ा सा पानी डालकर तब तक पकाया जाता है जब तक घोल में बुलबुले न उठने लगें। इसके बाद इसमें बड़ी डालकर थोड़ी देर पकने दें।
कापा – यह रेसिपी भी ठंड के दिनों में शरीर गर्म रखने का काम करती है। इसे बनाने के लिए पालक या मूली की पत्तियां मिक्सी या सिलबट्टे में पीस लें। इसके बाद एक कढ़ाई में प्याज, लहसुन, नमक, मिर्च आदि मसाले फ्राई कर उसमें आटे का घोल मिला लें। इसके बाद उबाल आने पर इसमें पिसी हुई पालक या मूली की पत्तियां डालकर थोड़ी देर पकाएं। यह रेसिपी पालक पनीर से काफी मेल खाती है।
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