गढ़वाल रेंज के प्रत्येक थाने में साइबर के जानकार कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी।
गढ़वाल रेंज के प्रत्येक थाने में साइबर के जानकार कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी। अभी तक जानकारी के अभाव में आने वाली शिकायतों के सापेक्ष महज तीन से चार प्रतिशत ही मामले दर्ज किए जाते हैं।
हर साल गढ़वाल रेंज के सभी जिलों में लगभग दो हजार शिकायतें साइबर अपराध से संबंधित आती हैं। इनमें दर्ज केवल 50 से 60 ही हो पाती हैं। इसके पीछे पुलिसकर्मियों में साइबर की कम जानकारी होना माना जाता है। ज्यादातर मामलों में शिकायतों को शुरुआती स्तर पर ही नजरअंदाज कर दिया जाता है। दरअसल, थाना स्तर साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों के लिए विशेषज्ञ न होने से पीड़ित को भटकना पड़ता है। पीड़ित को अक्सर साइबर सेल या देहरादून साइबर अपराध पुलिस स्टेशन जाने की सलाह दी जाती है। कई मामलों में तब तक बहुत देर हो जाती है और अपराधी पकड़ से काफी दूर निकल जाते हैं। इस संबंध में आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने सभी जिलों के कप्तानों को थानों में इस तरह के कर्मचारियों की तैनाती करने के निर्देश दिए हैं।
पहाड़ी जिलों में स्थिति बेकार:
शिकायतें दर्ज होने के मामलों में पहाड़ी जिले बेहद पीछे हैं। यहां हर साल महज एक या दो शिकायतें ही दर्ज हो पाती हैं। पौड़ी में वर्ष 2019 में कुल 62 शिकायतें आई थीं, लेकिन इनमें से दर्ज केवल एक ही हो पाई। इस वर्ष भी सितंबर तक 145 शिकायतें आईं, लेकिन दर्ज एक ही हो सकी। कमोबेश टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग में भी यही स्थिति है।
साइबर सेल स्तर से होती है मदद:
कई मामलों में जिलों की साइबर सेल लोगों की मदद करती है। यहां पर शिकायतों का स्तर जांचने के बाद बैंक और अन्य माध्यमों से या तो रकम को वापस करा दिया जाता है या फिर ट्रांजेक्शन रुकवा दी जाती है। ऐसा सिर्फ उन्हीं मामलों में होता है, जिनमें कार्ड या बैंक खातें के माध्यम से शॉपिंग की गई हो।
शिकायतें और दर्ज होने की स्थिति
जिला- वर्ष – शिकायतें- केस दर्ज
हरिद्वार-
2018-700-40
2019- 712-21
2020-557-25
पौड़ी-
2018-16-00
2019-62-01
2020-145-01
रुद्रप्रयाग-
2018-17-03
2019-47-14
2020-38-01
चमोली-
2018-07-02
2019-23-04
2020-46-06
टिहरी-
2018-76-12
2019-125-03
2020-159-06
देहरादून-
2018-830-52
2019-1306-41
12020-115-34
उत्तरकाशी-
2018-04-02
2019-05-02
2020-31-00