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सत्ता के गलियारे से: कुछ की उम्मीदें चढ़ रही परवान, कुछ परेशान

पुष्कर सिंह धामी सरकार ने सवा साल का कार्यकाल पूरा कर लिया, लेकिन चार मंत्री पद अभी भी खाली हैं। पहले चर्चा थी कि धामी विस्तार करेंगे, लेकिन अब सुगबुगाहट है कि फेरबदल होगा। सत्ता के गलियारे की चर्चाओं को सही मानें तो दो-तीन मंत्रियों की छुटटी हो सकती है। वैसे ही मंत्रिमंडल में अभी मुख्यमंत्री के अलावा सात मंत्री हैं और इनमें से भी कुछ की कुर्सी संकट में दिख रही है तो हलचल होना स्वाभाविक है। इन दिनों भाजपा का महा जनसंपर्क अभियान चल रहा है। मुख्यमंत्री की ओर से जिस तरह के संकेत हैं, उनसे लगता है कि पार्टी के इस कार्यक्रम के समापन के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल या विस्तार हो सकता है। इस बात से एक ओर भाजपा के 37 विधायकों की उम्मीदों को पंख लगते नजर आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ कुर्सी जाने के भय से कुछ परेशान भी बताए जा रहे हैं।
चुनाव निकट, मगर बसपा में पसरी है खामोशी
प्रदेश में व्यापक जनाधार रखने वाली भाजपा और कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई हैं, लेकिन कभी तीसरी बड़ी राजनीतिक ताकत रही बसपा निर्लिप्त सी दिख रही है। बसपा की कभी-कभार चर्चा होती भी है तो केवल प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी को बदलने को लेकर। पिछले 22 वर्षों में इन पदों पर 30 से अधिक बार बदलाव हो चुके हैं। उत्तराखंड की पहली निर्वाचित विधानसभा में बसपा के सात विधायक रहे, लेकिन वर्ष 2017 के चौथे विधानसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई। पिछले साल विधानसभा चुनाव में बसपा फिर हरिद्वार जिले की दो सीटें जीतने में सफल रही। इस दृष्टिकोण से हरिद्वार लोकसभा सीट पर बसपा जरूर अहम भूमिका निभा सकती है। हरिद्वार के अलावा नैनीताल लोकसभा सीट पर भी बसपा का थोड़ा-बहुत जनाधार माना जा सकता है। देखते हैं बसपा आगामी चुनाव के लिए क्या रणनीति तय करती है।

राजनीति की बिसात पर शह-मात का दिलचस्प खेल:
चुनावी साल है तो कांग्रेस ने अपना सियासी तरकश तीरों से भर लिया है, सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधने के लिए। यह बात अलग है कि कांग्रेसी नेताओं के तीर अक्सर प्रतिद्वंद्वी से अधिक अपने ही नेताओं को घायल कर देते हैं। खैर, कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभा रही है, लेकिन अब भाजपा सरकार भी उसके हमलों का जवाब कुछ इस त्वरित अंदाज में दे रही है कि कांग्रेस के नेता बगलें झांकने को मजबूर। कांग्रेस ने पुरोला में लव जिहाद और महापंचायत का मुददा उठाया, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्काल सभी महापंचायत पर रोक लगा दी। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत से जुड़े विवाद पर कांग्रेस ने सरकार को घेरने की कोशिश की, तो पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने आयुक्त को जांच सौंप दी। हरिद्वार जिले में अनुसूचित जाति के युवक की मौत का विवाद गर्माया, मुख्यमंत्री धामी ने बगैर देरी किए जांच बिठा दी।

कल जो थे दुश्मन, आज हो गए हमराह:
राजनीति भी बड़ी दिलचस्प होती है, कल जो दुश्मन थे, आज हमराह हो गए हैं। मार्च 2016 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार को संकट में डाल नौ विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। इनमें डा हरक सिंह रावत भी शामिल रहे। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग को लेकर हरीश और हरक आमने-सामने थे। समय चक्र घूमा और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरक कांग्रेस में लौट आए। अब एक बार फिर स्टिंग से जुड़ा घटनाक्रम ताजा हो गया, क्योंकि सीबीआइ अदालत ने इस प्रकरण में हरीश रावत और हरक, दोनों को नोटिस जारी किए हैं। इस समय दोनों एक ही पाले में खड़े हैं तो हरक के लिए बड़ी दुविधापूर्ण स्थिति हो गई है। कह रहे हैं कि स्टिंग उन्हें धोखे में रखकर किए गए थे और वह इस मामले में कई का पर्दाफाश करेंगे। देखते हैं, क्या होता है इसके आगे।

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