द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए आज सुबह सात बजे शुभ लग्न में बंद कर दिए गए हैं।
आज ही बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव गौंडार गांव पहुंचेगी।
जबकि रांसी, गिरिया होते हुए डोली 22 नवंबर को पंचकेदार शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में छह माह की पूजा-अर्चना के लिए विराजमान होगी।
कपाट बंद होने से पहले सुबह चार बजे से मद्महेश्वर धाम में आराध्य की विशेष पूजा-अर्चना की गई। मंदिर के पुजारी टी. गंगाधर लिंग द्वारा बाबा की भोगमूर्ति का श्रृंगार कर भोग लगाने के बाद आरती की गई।
सुबह सात बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने के साथ ही मंदिर की परिक्रमा करते हुए द्वितीय केदार की डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान कराया गया।
दोपहर 3:35 बजे बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट:
बदरीनाथ धाम के कपाट भी आज शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद होने की प्रक्रिया दोपहर डेढ़ बजे से शुरू होगी, जिसके बाद दोपहर 3:35 पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि मंदिर को फूलों से सजाया गया है। इस सीजन में अभी तक धाम में एक लाख 38 हजार श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। कपाट बंद होने के दौरान तीन हजार श्रद्धालु मौजूद होने की उम्मीद है। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत लक्ष्मी मंदिर में कड़ाई भोग का आयोजन किया गया।
इस भोग को लक्ष्मी माता को लगाया गया और प्रसाद स्वरूप श्रद्धालुओं को यह भोग बांटा गया। कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी माता लक्ष्मी की मूर्ति को बदरीनाथ गर्भगृह में रखेंगे और उद्धव व कुबेर की मूर्तियों को बदरीश पंचायत (गर्भगृह) से बाहर लाकर उत्सव डोली में रखकर पांडुकेश्वर लाया जाएगा।