पर्यावरण और इंसानों में पैदा कर सकते हैं खतरा,बादलों में मौजूद हैं माइक्रोप्लास्टिक
Microplastics present in clouds can cause danger to environment and humans
जापान के शोधकर्ताओं ने पुष्टि की है कि बादलों में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स बादलों के जरिए धरती पर जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि शोधकर्ता अभी तक इसे पूरी तरह से समझ नहीं आए हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि माइक्रोप्लास्टिक से भारी पर्यावरणीय नुकसान के अलावा इंसानों में हृदय और फेफड़ों के साथ ही कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
वॉशिंगटन, एजेंसी। जापान के शोधकर्ताओं ने पुष्टि की है कि बादलों में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स बादलों के जरिए धरती पर जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि, शोधकर्ता अभी तक इसे पूरी तरह से समझ नहीं आए हैं।
एनवायर्नमेंटल केमिस्ट्री लेटर्स में प्रकाशित एक शोध में, वैज्ञानिकों ने माउंट फूजी और माउंट ओयामा की चोटियों पर चढ़ाई करके बादलों से पानी इकट्ठा किया। इसके बाद उनके भौतिक और रासायनिक गुणों का पता लगाने के लिए नमूनों की इमेजिंग तकनीक से जांच की।
नौ अलग-अलग तरह के पॉलिमर और एक रबर की हुई पहचान (Nine different types of polymers and one rubber identified)
टीम ने वायुजनित माइक्रोप्लास्टिक्स में नौ अलग-अलग तरह के पॉलिमर और एक तरह के रबर की पहचान की। इसका आकार 7.1 से 94.6 माइक्रोमीटर तक है। बादल के हर एक लीटर पानी में प्लास्टिक के 6.7 से 13.9 टुकड़े होते हैं।
बादलों के अंदर पॉलिमर प्रचुर मात्रा में(Polymers abundant inside clouds)
इसके अलावा, बादलों में हाइड्रोफिलिक या पानी में पाया जाने वाला पॉलिमर प्रचुर मात्रा में था। इससे पता चलता है कि ये कण तेजी से बादल निर्माण और इस प्रकार जलवायु प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गंभीर पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है- वैज्ञानिक (there could be serious environmental damage – scientists)
वासेदा विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक हिरोशी ओकोची ने बुधवार को एक बयान में चेतावनी देते हुए कहा, “अगर ‘प्लास्टिक वायु प्रदूषण’ के मुद्दे पर सही तरीके से नहीं निपटा गया, तो जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक जोखिम (Ecological Risks) हकीकत में बदल सकते हैं, जिससे भविष्य में कभी ना बदलने वाले और गंभीर पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है।”
शोध में क्या है? ( What is Research )?
ओकोची ने कहा, जब माइक्रोप्लास्टिक ऊपरी वायुमंडल में पहुंचते हैं और सूरज की रोशनी से पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में आते हैं, तो वे नष्ट हो जाते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होती है। माइक्रोप्लास्टिक्स को 5 मिलीमीटर से कम के प्लास्टिक कणों के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें- औद्योगिक अपशिष्ट, कपड़ा, सिंथेटिक कार टायर, व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद आते हैं।
ये छोटे टुकड़े समुद्र की सबसे गहरी जगहों में मछलियों के अंदर पाए गए हैं जो समुद्र तट पर बर्फ जमा कर रहे हैं और फ्रांस और स्पेन के बीच पीरनिस चट्टानों पर बर्फ की चट्टानें बिछा रहे हैं। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में लिखा है, “हमारी सर्वोत्तम जानकारी के मुताबिक, यह बादल के पानी में वायुजनित माइक्रोप्लास्टिक पर पहली रिपोर्ट है।”
शोधकर्ताओं ने कहा है कि माइक्रोप्लास्टिक से भारी पर्यावरणीय नुकसान के अलावा, इंसानों में हृदय और फेफड़ों के साथ ही कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।