उत्तराखंड में सरकार अब नर्सिंग भर्ती के मानकों में संशोधन करने की तैयारी में है।
कोरोना से ठीक होने के बाद काम पर लौटे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वास्थ्य सचिव को मानकों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने बेरोजगार युवाओं के ज्ञापन का संज्ञान लेकर प्रस्ताव को कैबिनेट में पेश करने के भी निर्देश दिए हैं।
सीएम रावत के निर्देश के बाद राज्य में 1200 से ज्यादा पदों पर नर्सिंग स्टाफ की भर्ती होने जा रही है। लेकिन भर्ती के लिए 30 बेड के अस्पताल से एक साल के अनुभव और फार्म 16 की अनिवार्यता के कारण कई नर्सिंग प्रशिक्षित युवा इसमें भाग लेने से वंचित हो रहे थे। इस पर नर्सिंग प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन देकर मानकों में ढील देने की मांग की थी। जिससे अधिक से अधिक नर्सिंग प्रशिक्षित युवा इसमें भाग ले सकें।
इसके बाद अब मुख्यमंत्री ने सचिव स्वास्थ्य को निर्देश दिए कि 30 बेड के अस्पताल में एक साल के अनुभव की शर्त को हटा दिया जाए। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में दिया जाएगा। इस संशोधन के बाद फार्म 16 की अनिवार्यता भी खुद ही खत्म हो जाएगी।
कांग्रेस ने विस सत्र में उठाया था मुद्दा:
नर्सिंग भर्ती का यह मुद्दा कुछ समय पहले ही कांग्रेस ने विधानसभा सत्र के दौरान उठाया था। इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस की थी। वहीं, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत अब नर्स भर्ती के प्रशिक्षुओं के समर्थन में हैं। सोमवार को रावत ने इस मामले को लेकर फोन पर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से बात की थी और इस समस्या को सुलझाने का आग्रह किया था।
सोमवार को नर्सिंग के प्रशिक्षुओं को साथ लेकर विधायक मनोज रावत पूर्व सीएम हरीश रावत के पास पहुंचे थे। पूर्व सीएम रावत ने इस मुद्दे पर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से फोन पर बात कर समस्या का समाधान निकालने का आग्रह किया।
दिव्यांग कर्मचारियों को मिल सकेंगे पहले से अधिक सरकारी आवास:
नर्सिंग भर्ती के साथ ही सीएम त्रिवेंद्र ने राज्य के सरकारी विभागों में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारियों को भी तोहरा दिया। अब सरकारी विभागों में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारियों के सरकारी आवासों का कोटा बढ़ा दिया गया है।
अभी तक सरकारी आवासों के आवंटन में दिव्यांग कर्मचारियों के लिए तीन प्रतिशत आरक्षण था। अब इसे बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया गया है। राज्य सरकार के इस निर्णय से दिव्यांग कर्मचारियों को अब पहले से ज्यादा संख्या में सरकारी आवास मिल सकेंगे।
त्रिवेंद्र सरकार ने दिव्यांग कार्मिकों की समस्या को समझते हुए उन्हें बड़ी राहत प्रदान की है। सीमित कोटा होने के कारण दिव्यांग कर्मचारियों को सरकारी आवास पाने के लिए खासा इंतजार करना पड़ रहा है।
कई बार पात्र दिव्यांग कर्मचारी सरकारी आवास पाने से वंचित रह जाते हैं। लेकिन अब कोटा बढ़ जाने से ज्यादा दिव्यांग कार्मचारियों को सरकारी आवास मिल सकेंगे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, समाज कल्याण विभाग ने सरकारी आवासों, भवनों के आवंटन में समस्त श्रेणी के दिव्यांग कार्मिकों के लिए निर्धारित तीन प्रतिशत के आरक्षण को बढ़ाकर चार प्रतिशत करने की व्यवस्था दी है। इस संबंध में राज्य संपत्ति विभाग ने अपनी सहमति दे दी है। मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद सभी विभागों को आवास आवंटन के लिए अब दिशा-निर्देश जारी हो जाएंगे।