उत्तराखंड में quarantine सेंटर सिर्फ बेवकूफ बनाने के लिए; अधिकारी मजे में, लोग परेशान
Quarantine शब्द, मतलब आपको किसी से मिलना नही ना ही आपको किसी को छूना है न बाहर निकलना है न लोगों से मिलना है। यानी आपको लोगों से दूरी बनानी है। लेकिन उत्तराखंड के गांवों में quarantine के नाम पर बेवकूफ बनाया जा रहा है। यहां न तो प्रशाशन को किसी की पड़ी हुई है न ही किसी नेता जी को। जी हां यही सच है।
आजकल उत्तराखंड के गांवों में लोग देश, विदेश ओर अन्य राज्यों से खूब आ रहे है आएंगे भी क्यों नही उनका अपना घर पहाड़ ही तो है, क्योंकि यहां की सरकारें ओर अफसर आजतक यहां के गांवों के लिए कुछ नही कर सके ओर ना ही गांव में कोई रोजगार के साधन हैं, खेती बाड़ी में भी कोई रोजगार नही मिलता, तो मजबूरन यहां के लोगों को रोजगार के लिए बाहर अन्य राज्यों, देशों ओर विदेशों में जाना ही पड़ता है।
अब जब लोग घर आ रहें है तो सरकार, dm, sdm के आदेश हैं कि बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को क्वारंटाइन किया जाएगा वो भी गांव के नजदीकी विद्यालयों में।
अब उन स्कूलों की हालत इनको कोन बताए, कहीं पानी नही है तो कही शोचालय नही, कहीं सिर्फ 2 कमरें है तो कहीं आग जलाने या खाना बनाने का साधन नही। ना सरकार ने इन सब चीजों की कोई व्यवस्था की बस सिर्फ आर्डर पास कर दिया कि तुम क्वारंटाइन रहोगे,
अब 1 बात समझ नही आती अगर खाना, पानी, बिस्तर, कपड़े,साबुन, तेल ये सब अपने घर से ही ले जाना था तो ये ड्रामा क्यों, चलो मान लिया ये सब खरीद कर रख भी लिया फिर भी खाना बनाएंगे कहाँ क्योंकि गांव में तो बहुत सारे लोगों के पास गैस सिलिंडर तक नही होता ओर लकड़ी से बनाना है तो लकड़ी लाएगा कोन, बर्तन कहाँ से आएंगे अब इन सब बातों से बचने के लिए सरकार का कहना है कि खाना घर से भेजना पड़ेगा पर जो खाना लेकर जाएगा वो कितना सेफ है उसको क्या कोरोना नही हो सकता। क्या जो खाना, पानी ले जाएगा वो कोरोना से जंग जीत चुका है या फिर सरकार उसको कोई स्पेशल किट उपलब्ध करा रही है ताकि वो कोरोना से इन्फेक्टेड न हो।नही ऐसा भी ये नही कर रहे, क्योंकि उसमें फिर से पैंसे खर्च होंगे और इनकी पॉकेट मनी कम हो जाएगी।
गांव के स्कूलों में सिर्फ 1 ही टॉयलेट होता है बाथरूम तो आप भूल ही जाइये, अगर 1 स्कूल में 5 लोग क्वारंटाइन हैं ओर कमरा सिर्फ 1 ही है, टॉयलेट भी 1 ही है, किचन भी 1 ही है और तब उनमें से कोई 1 कोरोना पॉजिटिव हो तो बाकी 4 की क्या गलती जो वो भी कोरोना से मरेंगे।
क्या सरकार 1 के साथ सबको मरवाना चाहती है, ओर क्या कर रही है ये सरकार और अधिकारी, बस सिर्फ रोज नए नए कानून बनाना वो भी सिर्फ गरीब लोगों के लिए।
यहां की सरकार और अधिकारी किसी की नही सुनते बस उनको अपनी सहूलियत के हिसाब से जो अच्छा लगता है वो इस समय करने पर लगे हुए हैं, इस समय यही राजा हैं और यही बजीर बस प्यान्दे बेचारे गरीब लोग हैं।
लोगों को बस इक्कठा कर रहें है भेड़ बकरी की तरह, मानवाधिकार का हनन कर रहें है, सरकार कुछ नही कर रही गांव के प्रधान लोगों से लड़ रहे हैं।
प्रधानों का कहना है उनको sdm ओर dm से आर्डर है पर सिर्फ इतना ही कि लोगों को स्कूल में रोक दो बाकी की व्यवस्था का कुछ पता नहीं।
सरकार चंदा इक्कठा करने पर लगी हुई है बजट पर बजट पास कर दिए जो ज्यादातर इनकी खुद की जेब में जा चुके हैं, कहाँ गया सरकार का पैंसा क्या सिर्फ सारे रुपये 80 करोना मरीजों पर इनका सारा बजट डगमगा गया। नहीं ये बस wait कर रहें हैं कि कब मौका मिले और कब हम इस पैंसे को ठिकाने लगा दें।
वादे तो बहुत कर रहें है, रोज लाखो करोड़ो इन्ही लोगों से मांग कर इक्कठा कर रहे है और इन्ही लोगों को मरने के लिए छोड़ रहें हैं।
कोई आवाज उठाये तो sdm ओर आला अधिकारी उनको fir ओर जेल जाने की धमकी तक दे रहें है। क्या यही है हमारा उत्तराखंड और उत्तराखंड का भविष्य।
लोगों को इस तरह ट्रीट करना कहाँ का कानून है और कौन इसकी इज़ाज़त दे रहा है।
ये सरकार तो निक्कमी है पर उत्तराखंड के अधिकारी भी इस तरह के निक्कमे होंगे इस बात का शोक है।
शर्म आनी चाहिए उन लोगों को जो बाहर से कुछ और अंदर से सिर्फ कमीने तरह के होते है , ये एक ऐसी आपदा है अगर आप किसी दूसरे के हिस्से का या किसी ओर को परेशान करके खुद की जेब भरोगे तो भगवान तुम्हें नही छोड़ेगा इसका बुरा फल जरूर तुमको मिलेगा।
सच की आवाज