Big Breaking : 5 लाख साल पुरानी लकड़ी ने बताया मनुष्य का बड़ा राज!
5 lakh year old wood revealed man’s big secret!
मानव सभ्यता के विकास से जुड़ी एक बड़ी खोज वैज्ञानिकों ने की है। जाम्बिया में वैज्ञानिकों को लगभग 5 लाख साल पुराना ऐसा लकड़ी का ऐसा स्ट्रक्चर मिला है जो लोहे के हथियारों की मदद से तराशा गया लगता है। अब तक समझा जाता था कि पाषाण युग, जब मनुष्य अधिकतर कामों के लिए पत्थर के इस्तेमाल पर निर्भर था, में उसे इस तरह की तकनीकी में बहुत अधिक महारत हासिल नहीं थी। लेकिन नई खोज बताती है कि उस समय तक मनुष्य का दिमाग इस स्तर तक विकसित हो चुका था कि वह पत्थर के हथियारों का इस्तेमाल अपने लिए घर बनाने तक में करने लगा था!
यूनिवर्सिटी ऑफ लीवरपूल और एबरिस्टविथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया है कि 5 लाख साल पहले मनुष्य लकड़ी के साथ काफी कुछ कारीगरी करना सीख चुका था। जाम्बिया के कालाम्बो वॉटरफाल के पास वैज्ञानिकों को ऐसा ढांचा मिला है जो लकड़ी दो लट्ठों को मिलाकर बनाया गया है। इन्हें पत्थर से तराशा गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खोज से पता चलता है कि मनुष्य उस समय तक काफी एडवांस हो चुका था, जो कि इससे पहले नहीं समझा जाता था। यह दिखाता है कि कैसे आदमी अपने आसपास के वातावरण के अनुरूप खुद को ढालने लगा था और जरूरत के अनुसार चीजें बनाने लगा था।
शोध को Nature जर्नल में प्रकाशित किया गया है। पुरातत्व स्थल पर पाए गए इस लकड़ी के स्ट्रक्चर के बारे में कहा गया है कि यह लगभग 4,76,000 साल पुराना है। लकड़ी पर पत्थर के हथियार के निशान एक्सपर्ट्स ने पहचाने हैं। जो बताता है कि वे दो बड़े लकड़ों को जोड़कर अपने लिए घर बनाने जा रहे थे, या बना लिया था। कहा गया है कि दुनिया में यह अब तक का सबसे पुराना प्रमाण मिला है जब दो लकड़ियों को तराश कर एक दूसरे के साथ फिट किया गया हो।
अब तक समझा जाता था कि मानव लकड़ियों का इस्तेमाल सिर्फ छोटे मोटे कामों जैसे आग जलाने, जमीन को खोदने या फिर भाले आदि बनाने के लिए करता होगा। यहां पर यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि इतने लम्बे समय तक लकड़ी बची रही, बड़े झरने ने उसे बचाकर रखा। यह खोज बताती है कि पाषाण युग का मनुष्य दिमागी रूप से कमजोर नहीं था। कालाम्बो झरने के पास उसके लिए न सिर्फ पानी था, बल्कि एक बड़ा जंगल भी था जिसमें से वह लकड़ी लाकर अपने लिए जरूरत की चीजें बना सकता था। यूनिवर्सिटी ऑफ लीवरपूल से प्रोफेसर लैरी बरहाम का कहना है कि इस खोज से उनका पूर्वजों के बारे में नजरिया बदल गया है। पाषाण युग को भूल जाइए, और यहां उन्होंने जो किया है उस पर ध्यान दीजिए। उन्होंने अपनी कल्पना, अपनी बुद्धि और कुशलता का प्रयोग यहां किया है।