उत्तराखंड में दिन में बढ़ी तपिश, रातें अब भी सर्द; छह जिलों में मौसम बदलने के आसार
उत्तराखंड में ज्यादातर क्षेत्रों में शुष्क मौसम के बीच चटख धूप खिल रही है। जिससे पारा चढ़ रहा है और तपिश महसूस की जा रही है। खासकर मैदानी क्षेत्रों में धूप चुभ रही है, हालांकि रात को पारा सामान्य से कम पहुंचने के कारण ठिठुरन बरकरार है। दून में दिन गर्म और रातें सर्द हो रही हैं। दिन और रात के तापमान में 20 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर आ गया है। मौसम विभाग के अनुसार, आसपास के क्षेत्रों में शनिवार को भी मौसम शुष्क बना रह सकता है। देहरादून के साथ कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं आंशिक बादलों के बीच हल्की वर्षा के आसार हैं।
दून समेत आसपास के क्षेत्रों में खिली चटख धूप
शुक्रवार को सुबह से ही दून समेत आसपास के क्षेत्रों में चटख धूप खिली रही। दोपहर में पारा 27 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया और तपिश महसूस की जाने लगी। अभी से मौसम में गर्माहट है और लोग गर्म कपड़ों से परहेज करने लगे हैं। हालांकि, सुबह-शाम ठिठुरन बनी हुई है। रात का तापमान सामान्य से कम दर्ज किया जा रहा है। दून में न्यूनतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस के आसपास है। जो कि अधिकतम तापमान से करीब 20 डिग्री सेल्सियस कम है। तापमान में अधिक अंतर स्वास्थ्य के लिहाज से भी चिंताजनक है।
शनिवार को करवट बदलेगा मौसम
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, शनिवार को उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और देहरादून में कहीं-कहीं आंशिक बादल छाये रहने और हल्की वर्षा के आसार हैं। अन्य जिलों में मौसम शुष्क बना रह सकता है और दिनभर धूप खिले रहने की आशंका है।
कम वर्षा हाेने के कारण नहीं रिचार्ज हो सके प्राकृतिक जल स्रोत
देहरादून: शहर से सटे जलस्रोत में पिछले साल लगाए गए वर्षा जल संरक्षण संयंत्र में पर्याप्त वर्षा जल न पहुुंचने के कारण वह रिचार्ज नहीं हो सके। इसका मुख्य कारण कम वर्षा होना भी बताया जा रहा है। शहर में बीते सालों की की अपेक्षा गत वर्ष 10 प्रतिशत कम वर्षा हुई। जबकि बीते सालों में 1,250 मिलीमीटर तक वर्षा होती थी। ऐसे में इस साल भी गर्मी में पेयजल संकट गहरा सकता है। सारा (स्प्रिंग एंड रिवर रेजुवेनेशन) के तहत 2024 जून में रायपुर के 17, सहसपुर के आठ, डोईवाला के एक और देहरादून के एक प्राकृतिक जलस्रोत को रिचार्ज करने की योजना बनायी गई थी। बकायदा इसके लिए बजट जारी हुआ था। इनमें जल संरक्षण संयंत्र लगाकर वर्षा जल को संरक्षित करना था। ताकि जलस्रोत का
डिस्चार्ज बढ़े और भीषण गर्मी के दौरान वह सूखने की कगार पर न पहुंचे।
वहीं, शहर से सटे लोगों को पर्याप्त जलापूर्ति हो सके। इसके लिए पेयजल निगम, सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई विभाग और वन विभाग ने अपने-अपने क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्रोत को चिह्नित कर उन्हें वर्षा जल संरक्षण संयंत्र से लैस किया। लेकिन पिछले साल पर्याप्त वर्षा न होने के कारण यह प्राकृतिक जल स्रोत पूरी तरह से रिचार्ज नहीं हो सके। हालांकि उम्मीद है कि अब अगली वर्षा में यह रिचार्ज हो जाएंगे।