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आज शुक्रवार को कनखल स्थित बैरागी कैंप में तीनों बैरागी अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित की गई। 



कुंभ नगरी हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ की उत्तराखंड सरकार की ओर शुरुआत एक अप्रैल से हो गई है। लेकिन अगर धार्मिक दृष्टि से माना जाए तो कुंभ की शुरुआत अखाड़ों में धर्मध्वजा की स्थापना से होती है।

जहां मार्च के महीने में सन्यासी अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित हो चुकी हैं तो वहीं आज शुक्रवार को बैरागी अखाड़ो के तीनों आणियों की धर्मध्वजा स्थापित हुईं। जिसके बाद आज से बैरागी संतों के कुंभ लो लेकर धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे। आज शुक्रवार को कनखल स्थित बैरागी कैंप में तीनों बैरागी अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित की गई। कनखल स्थित श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन में भी धर्मध्वजा स्थापित हुई। विधि विधान और मंत्रोच्चारण के साथ अखाड़ा में साधु संतों और पुरोहितों द्वारा हवन किया गया। सभी 13 अखाड़ां के संत प्रतिनिधि कार्यक्रम में मौजूद रहे। साधु संतों पर  हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई।

इस अवसर पर सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों सहित कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत, आईजी कुंभ संजय गुंज्याल भी मौजूद रहे। इस दौरान अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि आज तीनों बैरागी अखाड़ा निर्वाणी, निर्मोही अनी और दिगंबर अखाड़े की धर्मध्वजा की स्थापना की गई है। जिसके साथ ही अखाड़ों में कुंभ की शुरुआत भी हो गई है।

आज से धर्मध्वजा के नीचे सभी गतिविधियां अखाड़ों की रहेंगी। वहीं निर्मोही अखाड़ा के श्री महंत राजेंद्र दास ने बताया कि आज से धर्मध्वजा के नीचे ही सभी कार्य किए जाएंगे। विधिवत रूप से से आज से ही निर्मोही अखाड़ा के कुंभ की शुरुआत हुई है। हमारे सभी साधु महात्मा हरिद्वार में पहुंच गए हैं। हमारे इष्ट देव हनुमानजी हैं, इसलिए हमने आज हनुमान जी को आराध्य मानकर धर्मध्वजा की स्थापना की है।
शंकराचार्य अधोक्षजानंद पहुंचे हरिद्वार, किया गंगा पूजन:
महाकुंभ शुरू होने के पहले दिन गोवर्धनपुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने विधि विधान से गंगा पूजन किया। गंगा पूजन में तीनों अणी अखाड़ों के श्रीमहंत और सैकड़ों संत मौजूद रहे। शंकराचार्य ने कुंभ के सकुशल आयोजन की प्रार्थना की।

शंकराचार्य ने निर्वाणी अणी अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास, निर्मोही अणी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास और दिगंबर अणी अखाड़े के श्रीमहंत किशन दास एवं सैकड़ों साधु-संतों एवं महामंडलेश्वरों के साथ कनखल में गंगा मां की विधि विधान से पूजा अर्चना की।

विद्वान आचार्यों ने वैदिक मंत्रों के साथ संपूर्ण अनुष्ठान संपन्न कराया। शंकराचार्य देवतीर्थ ने कहा कि कोरोनाकाल में उत्तराखंड सरकार और साधु संतों के प्रयास से कुंभ आयोजन सराहनीय कार्य है। जगद्गुरु ने कहा कि मां गंगा त्रिपथ गामिनी हैं।

कुंभ की आधार हैं। कुंभ आयोजन के प्रथम दिन उनकी पूजा से प्राप्त फल अवश्यमेव कल्याणकारी होगा। इस दौरान सांवरिया बाबा, महंत रामशरण दास, महंत मोहनदास, महंत गौरीशंकर दास, निर्वाणी अणी अखाड़े के सचिव महंत रामदास मौजूद रहे।

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