गांधी जयंती 2020..
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी और इसके संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद से गहरा लगाव था। वह पहली बार छह अप्रैल 1915 को गुरुकुल आए और स्वामी श्रद्धानंद से राष्ट्रीय शिक्षा पर चर्चा की। गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सहायता के लिए श्रमदान कर 1500 रुपये दक्षिणी अफ्रीका भी भिजवाए थे।
गुरुकुल कांगड़ी के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पहली बार महात्मा की उपाधि से अलंकृत किया था। 1915 में जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, तब हरिद्वार में आयोजित कुंभ के एक बांध के निर्माण में श्रमदान कर गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने पैसे इकट्ठे किए।
यह पैसे स्वामी श्रद्धानंद ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सहायता के लिए दक्षिण अफ्रीका भिजवाए थे। इससे प्रभावित होकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पांच अप्रैल 1915 को हरिद्वार आए। छह अप्रैल को नीलधारा स्थित गुरुकुल कांगड़ी पहुंचने पर स्वामी श्रद्धानंद और गुरुकुल कर्मचारियों ने भव्य स्वागत किया था।
1916 में फिर गुरुकुल गाए थे गांधी
इसके बाद महात्मा गांधी और स्वामी श्रद्धानंद का गहरा संबंध बन गया। उसके बाद महात्मा गांधी मार्च 1916 में फिर गुरुकुल में आए और स्वामी श्रद्धानंद से कई राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की।
10 साल बाद मार्च 1926 को महात्मा गांधी गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के रजत जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। महात्मा गांधी और गुरुकुल कांगड़ी के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद राष्ट्रीय मुद्दों पर पत्राचार से चर्चा भी की। उनके कई पत्र आज भी गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संग्रहालय में संरक्षित किए गए हैं।
गुरुकुल के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पहली बार महात्मा कहकर संबोधित किया था। इसके बाद मोहन दास कर्मचंद गांधी को विधिवत रूप से महात्मा की उपाधि से अलंकृत भी किया गया।
– प्रो. रूप किशोर शास्त्री, कुलपति, गुरुकुल कांगड़ी विवि