हरिद्वार महाकुंभ में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 107 घाटों पर कुल 55 लाख श्रद्धालु प्रतिदिन स्नान कर सकेंगे।
यह संख्या यातायात और सड़कों की क्षमता को देखते हुए घटाई भी जा सकती है। इससे पहले कुंभ में यह संख्या करोड़ों में होती थी। इधर, इस बार भीड़ कम होने की संभावना के चलते कुंभ क्षेत्र को भी अस्थाई रूप से लगभग एक तिहाई तक कम किया गया है।
महाकुंभ को लेकर ज्यादातर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। लेकिन, अभी तक यह अंदाजा नहीं लगाया जा सका है कि महाकुंभ में भीड़ कम रहेगी या ज्यादा। यह सब कोविड के आगामी समय में होने वाले असर पर ही तय किया जा सकता है। इसके हिसाब से ही फोर्स आदि की व्यवस्था की जानी है। जबकि, वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग के आधार पर ही सारी परंपराओं को पूरा किया जाना है।
हरिद्वार में सरकार के कुल 63 स्नान घाट हैं। इनमें कुछ पुराने तो कई हाल के दिनों में तैयार कर लिए गए हैं। आईजी कुंभ संजय गुंज्याल ने बताया कि सरकारी और प्राइवेट घाटों की संख्या 107 है। इन पर स्नान की व्यवस्था सोशल डिस्टेंसिंग के साथ की जानी है। भारत सरकार के मानकों के अनुसार 1.8 मीटर की दूरी एक दूसरे के बीच होनी जरूरी है। इस हिसाब से सभी घाटों की क्षमता लगभग 55 लाख श्रद्धालुओं को एक दिन में स्नान कराने की है। मगर, सड़कों की क्षमता इनसे कहीं कम है, लिहाजा यह उस वक्त घटाया भी जा सकता है।
दो लाख वर्गमीटर है घाटों का क्षेत्रफल:
सभी घाटों का कुल मिलाकर क्षेत्रफल लगभग 1.97 लाख वर्गमीटर है। इसी क्षेत्रफल के आधार पर औसत श्रद्धालुओं की संख्या आंकी गई है। ज्यादातर भीड़ मकर संक्रांति और बाद में शाही स्नानों पर होती है। महाकुंभ में फोर्स कितनी तैनात होनी है इस पर भी जल्द फैसला हो जाएगा।
एक तिहाई सेक्टर घटाए गए, अब कुल 24:
आईजी ने बताया कि पहले महाकुंभ में मेलाक्षेत्र कुल 32 सेक्टरों में बंटा था। 2021 के महाकुंभ के लिए 40 सेक्टर बनाने की तैयारी की जा रही थी। लेकिन, कोविड के चलते इन सेक्टरों को घटाकर 24 कर दिया गया है। महाकुंभ में ऋषिकेश व आसपास का क्षेत्र रिजर्व रहेगा। जरूरत पड़ने पर इन सेक्टरों को भी खोल दिया जाएगा।
महाकुंभ में स्नान के लिए लगभग 107 घाट तैयार किए गए हैं। भारत सरकार के मानकों के अनुसार 1.8 मीटर की सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। लिहाजा, घाटों के कुल क्षेत्रफल के आधार पर हर दिन में लगभग 55 लाख श्रद्धालु स्नान कर सकते हैं। इनकी संख्या अन्य क्षमताओं को देखते हुए घटाई भी जा सकती है।
– संजय गुंज्याल, आईजी कुंभ मेला