देहरादून में ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे की तैयारी, 2018 की मतदाता सूची होगी आधार; नए मतदाता नहीं होंगे शामिल
देहरादून नगर निगम में परिसीमन के बाद पैदा हुई उलझन अभी दूर नहीं हुई है, लेकिन अब सभी वार्डों में ओबीसी सर्वे की बारी है। नगर निगम की ओर से वर्ष 2018 की मतदाता सूची के आधार पर ओबीसी सर्वे किया जाएगा। निकाय चुनाव को लेकर अब सरकार जल्द से जल्द सर्वे कराकर वार्डों का आरक्षण तय करने की तैयारी में है। हालांकि, इस सर्वे में बीते छह साल में वार्डों में बसे नए मतदाताओं को शामिल नहीं किया जाएगा। इससे पहले वार्डों के परिसीमन में भी वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट को ही आधार बनाया गया। जबकि, शहर के ज्यादातर वार्डों में मतदाताओं की वर्तमान संख्या दोगुनी तक हो गई है।
सर्वे व रिपोर्ट वास्तविकता से दूर
ताजा आंकड़े न होने के कारण देहरादून नगर निगम की व्यवस्थाएं पुराने ढर्रे पर ही चल रही हैं और ज्यादातर सर्वे व रिपोर्ट वास्तविकता से दूर हैं। इसका खामियाजा आमजन को उठाना पड़ रहा है। निकाय की ओर से वार्डों में वर्तमान जनसंख्या के लिहाज से व्यवस्थाएं व सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही हैं।
नए सिरे से परिसीमन प्रक्रिया शुरू
नैनीताल हाईकोर्ट में हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने निकाय चुनाव आगामी 25 अक्टूबर तक पूर्ण कराने का दावा किया है। लेकिन, इससे पहले ही देहरादून नगर निगम के वार्डों के नए सिरे से परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इसमें वार्डों को संतुलित करने के लिए बड़े वार्ड से कुछ आबादी छोटे वार्डों में शामिल किए गए। इसे लेकर चौतरफा विरोध भी हो रहा है। अब ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए सर्वे की तैयारी है। जिसके लिए नगर निगम की ओर से आज से कसरत शुरू की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, नया ओबीसी सर्वे वर्ष 2018 की मतदाता सूची के आधार पर ही किया जाएगा। जबकि, तब से अब तक करीब एक लाख 30 हजार वोटर बढ़ चुके हैं।
इनमें बड़ी संख्या में ओबीसी मतदाता भी हैं। हालांकि, चुनाव को लेकर सभी प्रक्रिया कब तक पूरी हो सकेगी यह कहना तो मुश्किल है, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ चुनाव आगे खिसकने के दावे कर रहे हैं।
जिन वार्डों में परिसीमन से बदलाव वहीं होगा ओबीसी सर्वे
देहरादून के वार्डों का भूगोल बदलने को लेकर चल रही नगर निगम की कसरत पर नगर निगम ने शहर के 100 में से 72 वार्डों की जनसंख्या में आंशिक परिवर्तन करते हुए परिसीमन की रिपोर्ट तैयार की। निगम ने 20 वार्डों को मानकों के अनुरूप बताया और आठ वार्डों में कैंट/पालिका से सटे होने के कारण कोई परिवर्तन नहीं किया जा सका। सभी वार्डों को मानक के अनुसार 8000 हजार आबादी (केवल 10 प्रतिशत कम या ज्यादा) के हिसाब से काटा गया। इन्हीं 72 वार्डों में अब ओबीसी सर्वे किया जाएगा।
नौ माह से लंबित निकाय चुनाव, सार्वजनिक कार्य प्रभावित
बीते दो दिसंबर को नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त कर दिया गया। पहले लोकसभा चुनाव के नाम पर निकाय चुनाव नहीं करा पाने की बात कही गई। लेकिन, छह माह पूर्ण होने के बाद प्रशासक का कार्यकाल तीन माह के लिए फिर बढ़ा दिया गया। अब करीब नौ माह बीत चुके हैं और चुनाव को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। स्ट्रीट लाइट से लेकर, सफाई व्यवस्था, निर्माण कार्य और सौंदर्यीकरण के कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं। इसके अलावा पार्षदों से संबंधित कई काम आमजन नहीं करा पा रहे हैं।