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केदारनाथ में बर्फबारी का सिलसिला जारी, माइनस 3 डिग्री पहुंचा पारा; सोनप्रयाग में यात्रियों की भारी भीड़

केदारनाथ धाम में मंगलवार को भी दोपहर के बाद बर्फबारी शुरू हो गई। लगातार धाम में बर्फबारी का सिलसिला बना हुआ है। बर्फबारी में ही तीर्थयात्री बाबा के दर्शन कर रहे हैं।गत रात्रि हुई बर्फबारी से छह इंच ताजी बर्फ जम गई है जिससे कड़ाके की ठंड पड़ रही है।
केदारनाथ धाम में मंगलवार को भी दोपहर के बाद बर्फबारी शुरू हो गई। लगातार धाम में बर्फबारी का सिलसिला बना हुआ है। बर्फबारी में ही तीर्थयात्री बाबा के दर्शन कर रहे हैं। गत रात्रि हुई बर्फबारी से छह इंच ताजी बर्फ जम गई है, जिससे कड़ाके की ठंड पड़ रही है। तामपान माईनस तीन डिग्री तक पहुंच रहा है, जबकि अधिकतम चार डिग्री तक बना हुआ है।

शटल सेवा के लिए चलना पड़ रहा पैदल:
सोनप्रयाग में संचालित शटल सेवा तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को लगभग तीन किमी पैदल चलना पड़ रहा है। सोनप्रयाग में भारी भीड़ के चलते यहां पार्किंग फुल चल रही है, जिसके चलते यात्रियों को वाहन सीतापुर व रामपुर में पार्क करके पैदल ही आना पड़ रहा है। साथ में वह अपना भारी सामान भी लाने को मजबूर हैं।
सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक पहुंचने के लिए प्रशासन ने शटल सेवा संचालित की है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक छह किलोमीटर लंबा हाईवे काफी संकरा है, केदारनाथ आपदा के समय वर्ष 2013 में हाईवे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। साथ ही गौरीकुंड की सभी तीन पार्किंग भी आपदा में बह गई थी, जिसके बाद से सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक शटल सेवा शुरू की गई।

सोनप्रयाग में यात्रियों की भारी भीड़:
इस सेवा के तहत 150 वाहन संचालित होते हैं, इसमें छोटे वाहन टैक्सी मैक्सी शामिल हैं। सोनप्रयाग में यात्रियों को भारी भीड़ है, यहीं से यात्रियों को केदारनाथ जाने के लिए दोपहर एक बजे तक पुलिस बैरियर से छोड़ा जाता है, जिससे यहां पर यात्रियों की भारी भीड़ रहती है।
सोनप्रयाग में एक हजार क्षमता वाली पार्किग भी फुल चल रही है, जिसको देखते हुए यात्री सीतापुर से पैदल ही गौरीकुंड पहुंच रहे हैं, बुजर्ग तीर्थयात्री अपने साथ सामान भी लाने को मजबूर हैं और बारिश में भी पैदल चलकर सोनप्रयाग शटल सेवा के लिए पहुंचते हैं। शटल सेवा में भी भारी भीड़ रहती है, यहां पर भी लंबा इंतजार करने के बाद यात्रियों का शटल वाहन में बैठने का नंबर आता है। फिर गौरीकुंड पहुंचने के बाद पैदल ही केदारनाथ जाते हैं।

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