उत्तराखंड में इसी वर्ष लागू होगी समान नागरिक संहिता, मुख्यमंत्री धामी ने समिति का गठन किया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता इसी वर्ष लागू की जाएगी। प्रदेश सरकार देवभूमि का मूल स्वरूप बरकरार रखने के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यहां बिना पहचान और सत्यापन के लोग आकर अवैध रूप से बस रहे हैं। इससे हो रहे जनसांख्यिकी बदलाव को भी देखना जरूरी है।
सोमवार को मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में किसी को कानून व्यवस्था अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अतिक्रमण हटाने में किसी प्रकार का पक्षपात नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है।
विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 मई 2022 को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसमें चार सदस्य शामिल किए गए। बाद में इसमें सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया। इस समिति का कार्यकाल दो बार बढ़ाया गया।
इसी वर्ष मई में इसका कार्यकाल चार माह के लिए बढ़ाया गया। विशेषज्ञ समिति के लगभग 15 माह के कार्यकाल में अभी तक 70 बैठक हो चुकी हैं और समिति को 2.35 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं। समिति ने बैठकों के जरिये प्रदेश के सभी धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर स्थानीय निवासियों से सुझाव लिए हैं।
यहां तक कि समिति ने प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के साथ ही नई दिल्ली में भी प्रवासी उत्तराखंडवासियों के साथ भी इस विषय पर संवाद किया। समिति को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट इसी वर्ष जून तक सौंपना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब समिति ड्राफ्ट को तैयार कर पुस्तक का रूप दे रही है। मुख्यमंत्री के बीते दो माह में पांच से अधिक दिल्ली दौरे हुए हैं और लगभग हर दौरे में उनकी समिति की सदस्यों के साथ चर्चा हुई है। वह समिति के सदस्यों के साथ गृह मंत्री अमित शाह से भी भेंट कर चुके हैं। अब समिति कभी भी ड्राफ्ट प्रदेश सरकार को सौंप सकती है। मुख्यमंत्री के सोमवार को मीडिया को दिए गए बयान के यह निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं कि सरकार पांच सितंबर से होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान सदन में इससे संबंधित विधेयक को प्रस्तुत कर सकती है।