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नैनीताल की शान नैनी झील को लेकर चिंताजनक रिपोर्ट, झील को बर्बाद करने पर तुले हैं 148 होटल

अबतक 148 होटल यह घिनौना काम कर चुके हैं। अपनी जेब भरने के लालच में लोग प्रकृति को बर्बाद कर रहे हैं। When trees are cut down, wildlife is destroyed, and water sources dry up, it is not development, but a recipe for disaster अर्थात ” जब पेड़ काटे जाएंगे, वन्य जीवन बर्बाद किया जाएगा, जब पानी के सभी स्त्रोत सूख जाएंगे, तब यह विकास नहीं बल्कि आपदा को निमंत्रण है। सुंदरलाल बहुगुणा जी का यह कथन आज सच साबित हो रहा है।
पहाड़ तो जैसे पहाड़ नहीं रहे। अब यह पर्यटन स्थल बन गए हैं और लोग यहां इनको दूषित करने के लिए आते हैं। नैनीताल में इसका साफ उदाहरण दिख रहा गया। पर्यटकों के बढ़ने से जहां होटल कारोबार बढ़ रहे हैं, तो वहीं कारोबारी नैनी झील में गंदा पानी बहाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। अबतक 148 होटल यह घिनौना काम कर चुके हैं। अपनी जेब भरने के लालच में लोग प्रकृति को बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने कमर कस ली है और सख्ती करनी शुरू कर दी है। जी हां, अब ऐसे होटलों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाएगी।
बता दें कि नैनीताल सहित आसपास के इलाकों में अनधिकृत रूप से पेड़ों की कटाई और झील को दूषित करने से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए कड़ा रुख अपनाया गया है। कोर्ट ने कहा है कि नैनीताल शहर से सटे क्षेत्र दुर्लभ व लुप्तप्राय प्रजातियों का वन क्षेत्र है।लापरवाह कारोबारी व लोग घरेलू सीवरेज व ठोस अपशिष्ट को नैनी झील तक पहुंचने वाले बरसाती नालों में बहा रहे हैं। वहीं अवैध पहाड़ियों पर कटान से जंगल के हो रहे हैं। हर साल पहाड़ियों में पेड़ों के कटान से भूस्खलन व पर्यावरण को नुकसान होता है। होटल कारोबारियों की हिम्मत देखिए कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना 148 से अधिक होटल चल रहे हैं और दूषित पानी व सीवरेज झील में बहा रहे हैं। ऐसे में मंगलवार को प्राधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस शिव कुमार सिंह ने नैनीताल निवासी विवेक वर्मा की याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नैनीताल के डीएफओ, एसडीएम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पेश हुए। उन्होंने बताया कि पेड़ काटने वालों से करीब 11 लाख जुर्माना वसूला गया है।

 

 

 

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