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उत्तराखंड : अनिल रतूड़ी (डीजीपी) हुए रिटायर, अशोक कुमार (आईपीएस) ने संभाला कार्यभार।



उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक (डीजीपी ) अनिल कुमार रतूड़ी सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने बतौर डीजीपी तीन साल से अधिक समय तक सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने कानून व्यवस्था से लेकर पुलिस कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। सोमवार को उनके सम्मान में पुलिस परेड का आयोजन किया गया, जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने उनकी गाड़ी को धक्का लगाकर पारंपरिक विदाई दी।

पुलिस लाइन देहरादून के मैदान में सुबह करीब साढ़े नौ बजे परेड का आयोजन किया गया। डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने परेड का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद उन्होंने संबोधन के दौरान उत्तराखंड में अपने 20 साल के कार्यकाल को याद किया। उन्होंने कहा कि वे अगस्त 2000 में उत्तराखंड में बतौर ओएसडी आए थे। 20 साल के अनुभव में उन्होंने उत्तराखंड और यहां की पुलिस को बेहद करीबी से देखा है।

उन्होंने कहा कि 20 साल में उत्तराखंड पुलिस हर दिन नए आयामों को छू रही है। कई कीर्तिमान भी इस दौरान पुलिस ने बनाए हैं। इसके पीछे पुलिस के सिपाही, दारोगा और इंस्पेक्टरों की कड़ी मेहनत है। उत्तराखंड पुलिस के जवान हमेशा अपनी कार्यशैली और शालीन भाषा के लिए पहचाने जाएंगे।

बीते दिनों लॉकडाउन में उत्तराखंड पुलिस ने जो काम किया उसे केंद्र सरकार ने भी माना है। उन्हें खुशी है कि वे देश की सबसे सभ्य पुलिस का हिस्सा रहे हैं और भविष्य में भी पुलिस अपनी इस कार्यशैली के नाम पर जानी जाती रहेगी। इस मौके पर उन्होंने सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में अपर पुलिस महानिदेशक पीवीके प्रसाद, आईजी अभिनव कुमार, आईजी संजय गुंज्याल, आईजी अमित सिन्हा, सभी डीआईजी और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

ये किए प्रमुख कार्य:
– गुमशुदा बच्चों को तलाशने के लिए ऑपरेशन स्माइल चलाया गया।
– सीपीयू की तर्ज पर पहाड़ों में हिल पेट्रोल यूनिट शुरू की गई।
– ई-चालन व्यवस्था की शुरुआत की गई।
– इस अवधि में 6 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिलाया गया।
– 2018 में माउंट एवरेस्ट पर पुलिस टीम ने चढ़ाई की।
– कॉमन वेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में उत्तराखंड पुलिस मानव संसाधनों के उपभोग में दूसरे स्थान पर रही।
– पिछले साल देश के 15000 थानों में प्रदेश के तीन थाने टॉप 10 में शामिल हुए।

अधिकारियों की कार्यक्षमता को पहचानते हैं रतूड़ी:
इस अवसर पर नवनियुक्त डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि डीजीपी अनिल रतूड़ी सबसे अच्छे लीडरशिप वाले अधिकारियों में से एक हैं। वे हर अधिकारी की कार्य क्षमता को पहचानते थे। डीजीपी रतूड़ी हमेशा से पुलिस के कल्याण की वकालत करते आए हैं। यही कारण है कि उनका यह कार्यकाल हमेशा उन अधिकारियों, कर्मचारियों को याद रहेगा, जिन्होंने उनके साथ काम किया है।

आईपीएस अशोक कुमार ने संभाला डीजीपी का पदभार:
1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार ने सोमवार शाम पांच बजे उत्तराखंड डीजीपी का पदभार ग्रहण कर लिया। डीजीपी से रिटायर हुए आईपीएस अनिल कुमार रतूड़ी ने उन्हें चार्ज सौंपा। अपने जोशीले अंदाज में अनिल कुमार रतूड़ी ने उन्हें पुलिस की बैटन सौंपकर उत्तराखंड पुलिस की कमान उनके हवाले की और भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

इससे पहले सोमवार को रिटायर होने से पहले डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी को पुलिस लाइन देहरादून में पुलिस अधिकारियों ने विदाई दी थी। इसके बाद शाम पांच बजे तक डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने कार्यालय में रहे और ठीक पांच बजे डीजीपी अशोक कुमार को चार्ज सौंपा। इस अवसर पर पुलिस के आला अधिकारी मौजूद रहे। अशोक कुमार अपने 31 साल के कार्यकाल में अविभाजित उत्तर प्रदेश के कई शहरों के कप्तान रह चुके हैं।

इसके बाद उत्तराखंड के कई जिलों में पुलिस कप्तान रहे। इस दौरान उन्होंने तराई से आतंकवाद को खत्म करने में भूमिका निभाई। अशोक कुमार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी बीएसएफ, सीआरपीएफ आदि पैरामिलिट्री फोर्स में भी रह चुके हैं। उन्होंने बीएसएफ में रहते हुए कई ऑपरेशन और फोर्स के कल्याण के लिए कई काम किए। वे अपने सहज स्वभाव और मृदु भाषा के लिए जाने जाते हैं। वे पहले ही कह चुके हैं कि पुलिस जनता की मित्र और अपराधियों के लिए खौफ बनेगी। इस सिद्धांत का जिसने उल्लंघन किया उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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